305 करोड़ के लीकेज वाले डैम ने ढायी बर्बादी: फसलें चौपट, पेड़-बिजली के पोल गिरे; ग्रामीण बोले-घर पहुंचे तो सबकुछ भीगा था


राजीव तिवारी/ विशाल गीते (महेश्वर, खरगोन)एक घंटा पहले

धार जिले के भारुड़पुरा और कोठिदा गांव के बीच कारम नदी पर बना डैम अब खाली हो चुका है। 305 करोड़ की लागत से यहां खड़े किए जा रहे डैम को शनिवार रात सरकार ने ही तोड़ने का निर्णय लिया था। जेसीबी ने डैम की वॉल पर छोटा सा कट लगाया, लेकिन उफन रहे डैम के पानी ने ऐसी राह बनाई की धार और खरगोन के 18 गांवों में हड़कंप मच गया और शासन-प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं।

रविवार शाम सवा 5 बजे डैम की वॉल के एक सिरे की दीवार ढह गई और पानी गांव की ओर तेजी से बढ़ा। पेड़, बिजली के पोल और खेतों में खड़ी फसलों को तहस-नहस करता हुआ पानी कारम नदी से होता हुआ नर्मदा नदी में समा गया। दैनिक भास्कर की टीम प्रभावित गांव बड़वी, कांकरिया और नयापुरा पहुंची और हालात का जायजा लिया…

पुलिस आई, पूरा गांव खाली करा दिया

बड़वी के रहने वाले दशरथ वर्मा दहशत की कहानी सुनाते हुए कहते हैं – क्या बताएं, तीन दिन कैसे बीते… डैम के लीकेज होने की सूचना के बाद गांव में अनाउंसमेंट हुआ। पुलिस आई और पूरे गांव को खाली करने को कहा गया। हम सब काफी डरे हुए थे, कुछ राहत कैंप में चले गए तो कुछ ऊंची पहाड़ी पर। हम भी सबकुछ घर पर ही छोड़कर ऊंचे स्थान पर परिवार समेत भागे।

3 दिन तक पहाड़ी या राहत कैंप में रहे लोग अब जिंदगी को फिर पटरी पर लाने में जुटे हैं।

दो दिनों तक सिर्फ डैम… डैम… और कुछ सुनने, सोचने को नहीं था। रविवार शाम करीब 5 बजे पता चला कि पानी गांव में घुस गया है। रात 11 बजे बताया गया कि खतरा टल गया है, आप अपने घर जा सकते हैं। हम परिवार समेत लौटे तो पूरा घर पानी-पानी हो चुका था। दरवाजा खोला तो पाया सबकुछ गीला हो चुका है। करीब 5 घंटे तक घर पानी में घिरा रहा।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव से गुजरी कारम नदी पर एक ब्रिज बना है। यह भी डूब गया था। घंटों बाद यहां से आवागमन शुरू हुआ। कुछ अन्य लोग कहते हैं, ऐसा पानी हमने गांव में 2006-07 में देखा था, नदी ने तो विकराल रूप ले लिया था। बहुत डरे हुए थे। नदी का पानी तेजी से गांव की ओर बढ़ रहा था। हम ऊपर से यह सब देख रहे थे। खेतों में खड़ी फसल को तबाह करते हुए पानी गांव तक पहुंचा और हमारे घरों में घुस गया। घर में रखे राशन, बिस्तर समेत पूरा सामान गीला हो गया। अब फिर से जीवन को सामान्य करने में जुट गए हैं। भगवान का शुक्र है कि कोई जनहानि नहीं हुई।

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नदी में बाढ़ आने से खेत में खड़ी फसल तहस-नहस हो गई।

नदी में बाढ़ आने से खेत में खड़ी फसल तहस-नहस हो गई।

डैम को बचाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव तो पूरे समय मौके पर मौजूद रहे। सेना की भी मदद ली गई। 48 घंटे तक पहाड़ के किनारे को खोदकर नहर बनाने का काम चलता रहा। हालांकि सफलता नहीं मिलती देख दीवार तोड़कर पानी निकालने का निर्णय लिया गया।

जेसीबी के पंजे ने 6 घंटे में डैम की दीवार खोद दी। पानी निकलना शुरू हुआ, लेकिन फ्लो कम था। ऐसे में रविवार को कैनाल को और चौड़ा करने के लिए जेसीबी चला दी। दिनभर की मशक्कत के बाद शाम होते-होते पानी ने ऐसा रास्ता बनाया कि दीवार को फोड़ता हुआ पानी डैम से आधा किमी दूर, जहांगीरपुरा, काेठिदा और भारुड़पुरा की ओर बढ़ गया।

घर में पानी घुसने से राशन और बिस्तर गीला हो गया।

घर में पानी घुसने से राशन और बिस्तर गीला हो गया।

जनहानि नहीं होना राहत की बात
डैम के लीकेज का पता चलते ही पिछले तीन दिनों से प्रशासन 18 गांवों को खाली करवाने में जुटा हुआ था। प्रशासन का दावा है कि डैम के पानी में किसी भी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई है। हालांकि पानी गांवों की ओर तेजी से बढ़ा, जिसमें पेड़, खेतों में खड़ी फसल और बिजली के पोल धराशाई हो गए। बांध के पानी के छूटते ही सबसे पहले एबी रोड और नागदा-गुजरी हाईवे को बंद करवा दिया गया। बिजली सप्लाई को रोक दिया गया।

बांध की दीवार ढहने से पानी का बहाव तेज हुआ और 18 गांवों के लोग दहशत में आ गए।

बांध की दीवार ढहने से पानी का बहाव तेज हुआ और 18 गांवों के लोग दहशत में आ गए।

बांध पर एक नजर…
ग्राम कोठिदा में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना का शिलान्यास एवं भूमिपूजन चार साल पूर्व जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री अंतर सिंह आर्य ने किया था। डैम का निर्माण दिल्ली की कपंनी एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. कर रही है। 10 अक्टूबर 2018 से बन रहे इस डैम को 36 महीने में बनकर पूरा होना था। हालांकि कोरोना काल के चलते दो साल इसका काम बंद रहा। डैम का जल संग्रहण क्षेत्र 183.83 वर्ग किमी है। बांध की लंबाई 564 मीटर होकर चौड़ाई 6 मीटर है। जल भरण क्षमता 43.98 मीट्रिक घन मीटर रखी जाना है, लेकिन डैम में लीकेज होने के बाद दीवार काे काटकर पानी काे बहाया गया है।

डैम को बचाने के लिए सेना की मदद ली गई थी।

डैम को बचाने के लिए सेना की मदद ली गई थी।

मंत्री तुलसी सिलावट और राज्यर्वधन सिंह दत्तीगांव पूरे समय मौके पर मौजूद थे।

मंत्री तुलसी सिलावट और राज्यर्वधन सिंह दत्तीगांव पूरे समय मौके पर मौजूद थे।

समाजसेवी मेधा पाटकर भी मौके पर पहुंची थी। मंत्री सिलावट से बात की।

समाजसेवी मेधा पाटकर भी मौके पर पहुंची थी। मंत्री सिलावट से बात की।

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