जयपुरकुछ ही क्षण पहलेलेखक: गोवर्धन चौधरी
- हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी और राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से
विपक्षी पार्टी में इन दिनों हलचल बढ़ी हुई है। दिल्ली के बड़े नेता के आदेश के बाद फिर से सर्वे करवाया जा रहा है। हर सीट पर 1100 लोगों से रैंडम सर्वे कर राय ली जा रही है। सभी 200 सीटों पर हो रहे इस सर्वे में मुख्य फोकस सीएम फेस के नेताओं पर है। शुरुआती रुझान चौंकाने वाले बताए जा रहे हैं। सीएम फेस में गुरु गोरखनाथ के दो भक्त भी उभरकर सामने आए हैं, उन पर भी राय ली जा रही है। फिलहाल सर्वे के नतीजों का इंतजार है।
मंत्री बदलते ही कइयों को सरकार बदलने का अहसास
आम तौर पर सरकार बदलने पर ही पुरानी पार्टी के राज में प्राइम पोस्टिंग वालों को हटाया जाता है, लेकिन कुछ विभागों में मंत्री बदलते ही सरकार बदलने का अहसास हो रहा है। एजुकेशन और मेडिकल वालों ने पुराने कई नजदीकी अफसर-कर्मचारियों को राज बदलने का अहसास करवा दिया है। मेडिकल में एक अफसर को पिछले दिनों एपीओ कर दिया गया। पड़ताल में सामने आया कि उनका रिकॉर्ड आउटस्टैंडिंग था। प्रदेश के मुखिया ने विपक्ष में रहते हुए बाकायदा लेटर लिखकर इनसे पार्टी की मदद का आग्रह किया था। सत्ताधारी पार्टी के नजदीकी होने के बावजूद अफसर को पुराने मंत्री के समय प्राइम पोस्टिंग में रहना भारी पड़ रहा है। ऐसा ही एक और अफसर के साथ हुआ, जिनका परिवार सत्ताधारी पार्टी से जुड़ा है।
सोनिया गांधी तक पहुंचाए मंत्री-नेताओं के खिलाफ दस्तावेज

सत्ताधारी पार्टी में शह-मात का खेल लगातार जारी है। कुछ मंत्री अपनों के ही निशाने पर हैं। पिछले दिनों कुछ दस्तावेज दिल्ली पहुंचाए गए हैं, जिनमें कई मंत्रियों और अफसरों के कामों का ब्यौरा है। यह ब्यौरा सियासी रूप से काफी विस्फोटक बताया जा रहा है। गड़बड़ियों से लेकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने तक के दस्तावेजी सबूत इसमें दिए गए हैं। फिलहाल हाईकमान से इस पर कोई रिएक्शन नहीं आया है, लेकिन आने वाले दिनों में इस पर एक्शन दिखने का दावा जरूर किया जा रहा है।
संगठन के मुखिया को सीएम बदलने का ज्ञापन

प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी में चेहरे बदलने की बहस और मांग कभी नहीं रुकती। कभी सत्ता तो कभी संगठन के चेहरे बदलने की मांग को लेकर दिल्ली से लेकर जयपुर तक दौड़-धूप चलती ही रहती है। पिछले दिनों सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख अपने दफ्तर में नेताओं से मुलाकात कर रहे थे। मुलाकात करने वाले नेता ज्ञापन भी दे रहे थे। एक नेता ऐसा ज्ञापन देकर चला गया जिसे देखते ही सब अवाक रह गए। दरअसल ज्ञापन में सरकार का मुखिया बदलने की मांग थी। नेता ने ब्राह्मण चेहरे को मौका देने का सुझाव दिया था। अब इस ज्ञापन को भेजें तो कहां भेजें, इसलिए इसे देखकर अनदेखा कर दिया गया।
आंकड़ों की बाजीगरी देख जज भी दंग रह गए
आपसी सहमति-समझौते से पेंडिंग मुकदमों का बोझ कम करने के लिए चलाए जा रहे अभियान की कई बार सराहना हो चुकी है। पिछले दिनों इस अभियान से जुड़े रोचक फैक्ट सामने आए। लोक अदालतें लगाकर मुकदमे निपटाने के आंकड़े देखकर जज भी दंग रह गए। लोक अदालत में 500 बैंच बनाकर 13 लाख पेंडिंग केस निपटाने का आंकड़ा बताया गया। इस आंकड़े पर हिसाब लगाया तो हर मिनट 5 केस निपटाने का एवरेज आ रहा था। एक मिनट में पांच केस की सुनवाई नामुमकिन हैं] इस आंकड़े के पीछे रोचक फैक्ट सामने आया है। बताया जाता है कि कई दिनों के केसेज पर हुए फैसलों को लोक अदालत के दिन में ही काउंट कर लिया, इससे आंकड़ों में चमत्कार हो गया।
ससुराल से प्रधानी चलाने के मॉडल पर घमासान

पूर्वी राजस्थान की सियासत के रंग भी अनूठे हैं। इन दिनों एक पंचायत समिति के कर्मचारी प्रधान के पास फाइलें लाने ले जाने को लेकर ही परेशान हैं। प्रधान शादी के बाद सैकड़ों किलोमीटर दूर ससुराल से ही राजकाज चला रही हैं। ससुराल बैठकर प्रधानी चलाने के इस मॉडल से फाइलों पर फैसलों में देरी होती है जिसका सीधा असर विकास के कामों पर पड़ रहा है। इस मॉडल के खिलाफ अब आवाजें उठनी शुरू होगई हैं। पार्टी के नेताओं ने भी बड़े नेताओं तक ससुराल से पंचायत समिति चलाने पर सवाल उठाए हैं।
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