सिंगल मदर हैं तो यूं रखें अपने बच्चे का ख्याल, दें एक बेहतर परवरिश


Single Parenting Tips : खुद के दम पर बच्चों को पालना कोई आसान काम नहीं. खासकर तब जब आप सिंगल मदर (Single Sother) हों. आजकल की लाइफस्टाइल (Lifestyle) में सेप्रेट होना काफी कॉमन हो गया है. ऐसे में बच्चों की जिम्मेदारी या तो मां या बाप के कंधे पर आ जाती है. मां के लिए अकेले रहकर यह इतना आसान काम नहीं. यही कारण है कि कई बार वे इतनी उलझ जाती हैं कि बच्चों की परवरिश में कमी आने लगती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे टिप्स (Parenting Tips), जो आपकी इस कठिनाई को काफी आसान बना देंगी…

 

दूसरे सिंगल पैरेंट्स से कनेक्ट रहें

सिंगल पैरेंट होना एक्स्ट्रा रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है. इसलिए ऐसी सिचुएशन में आप अपनी ही तरह बच्चे की अकेले परवरिश कर रहे पैरेंट्स की तलाश करें. सोशल मीडिया पर इस तरह के कई ग्रुप एक्टिव हैं, जहां सिंगल मदर या फादर होते हैं. ये ऐसे पैरेंट्स का सपोर्ट करते हैं. इस तरह की एक अलग कम्यूनिटी भी बनाई जा सकती है. ताकि बच्चों की परवरिश में कोई कमी न रह जाए. 

 

मदद लेने में संकोच कैसा

आपको इस बात को मानना चाहिए कि आप कोई सुपरहीरो या सुपर वुमेन नहीं, जो सबकुछ अकेले दम पर कर लें. इसलिए जब भी कभी जरुरत पड़े, तत्काल मदद मांगने या लेने में संकोच न करें. किसी की हेल्प लेने से आप कमजोर नहीं बल्कि समझदार दिखेंगी. इससे आपके और आपके बच्चे की एक-दूसरे पर निर्भरता नहीं रहेगी.  

 

खुद के साथ बच्चे की रूटीन पर फोकस

अब जब आप दोहरी जिम्मेदारी के साथ लाइफ में आगे बढ़ रही हैं तो आप तभी उसे अच्छी तरीके से निभा सकती हैं जब आपका रुटिन ठीक रहे. सही रूटीन फॉलो करना, जितना आपके लिए जरूरी है, उतना ही आपके बच्चे के लिए भी. अगर ऐसा नहीं करेंगी तो आप उलझ जाएंगी. रूटीन से आपका बच्चा अनुशासित और आत्मनिर्भर बनेगा और आप बेवजह तनाव से बच जाएंगी।

 

रूल्स से समझौता न करें

अगर आपने अपने बच्चे के लिए कोई रुल्स बनाया है तो कोशिश रहे कि बच्चा नियमित रुप से उसको फॉलो करे. अगर वह इसमें आनाकानी कर रहा है या इससे बचने की कोशिश कर रहा है तो आप उसे प्यार से समझाएं. बच्चा अगर अनुशासित होता है तो वह सफलता की तरफ अपने कदम बढ़ाता है और आपके ऊपर से प्रेशर कम होता है.

 

बच्चे को बच्चा ही समझें

कई बच्चे काफी समझदार होते हैं लेकिन होते वे बच्चे ही हैं. वे इतने भी समझदार नहीं होते कि आपकी बातों की गहराई और भावनाओं को समझ सकें. इसलिए अपनी समस्याएं, परेशानी उनके सामने न लेकर जाएं. अगर बच्चा कुछ अच्छा कर रहा है तो उसकी तारीफ से भी न चूके. वह आपसे अपनी कोई बात शेयर कर रहा है तो बड़े प्यार से उसे सुनें, भले ही बात बिना सिर-पैर के क्यों न हो. इस तरह से आपकी और बच्चे की बॉन्डिंग अच्छी होगी और पैरेंटिंग भी.

 

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