अजमेर11 मिनट पहलेलेखक: भरत मूलचंदानी
चर्चा करती छात्राएं।
छात्रसंघ चुनाव का नाम सुनते ही दिमाग में आता है पोस्टर्स से भरी दीवारें, गाड़ियों का काफिला और धरने-प्रदर्शन का शौर शराबा। लेकिन प्रदेश का एक कॉलेज ऐसा भी है, जहां छात्रसंघ चुनाव में न तो कैंपेनिंग होती है, न धरना-प्रदर्शन और न ही एक रुपये का खर्चा। चुनाव भी महज 3 दिन में निपट जाता है। डेढ़ हजार से ज्यादा गर्ल्स स्टूडेन्ट्स अपना प्रतिनिधि चुनती हैं। यहां चुने गए प्रतिनिधी विधायक या मंत्री नहीं बनते बल्कि IAS-IPS-RAS जैसी सेवाओं में जाकर नाम कमाते हैं।
ये है अजमेर का सोफिया कॉलेज। जहां छात्रसंघ के चुनाव 18 अगस्त को चुनाव होंगे। आज यानी 16 अगस्त को गर्ल्स कैंडिडेट अपना नॉमिनेशन फाइल करने में जुटी हैं। ऐसे में दैनिक भास्कर की टीम ने सोफिया कॉलेज की प्रिंसिपल से बात की। स्पेशल परमिशन के बाद कैंपस में जाकर सबसे अनूठा स्टूडेंट इलेक्शन की हर एक्टिविटी के बारे में जाना, आखिर ये चुनाव होता कैसे है, जिसमें एक पैसा भी स्टूडेंट को खर्च नहीं करना होता….
अजमेर में सोफिया कॉलेज की स्थापना सन 1959 में हुई थी। वर्तमान में यहां पर 1750 गर्ल्स स्टूडेन्ट्स अध्ययनरत है। यह कॉलेज महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की ओर से एफिलिएटेड है, लेकिन यहां के एग्जाम कॉलेज स्तर पर ही करवाए जाते हैं। केवल डिग्री यूनिवर्सिटी की होती है।
NSUI-ABVP नहीं, चलता है खुद का संगठन
सोफिया कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव की सबसे खास बात है यहां एनएसयूआई या एबीवीपी जैसी स्टूडेंट विंग का कोई दखल नहीं होता। केवल सोफिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के बैनर तले चुनाव होता है। इसका गठन हर साल आमतौर पर अगस्त में होता है। एसोसिएशन में 30 स्टूडेंट्स पर एक सीआर (क्लास रिप्रेजेन्टेटिव) चुना जाता है।
प्रिंसिपल सिस्टर पर्ल ने बताया कि जैसे दूसरे कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन का एपेक्स पैनल होता है वैसे ही यहां करीब 70 सीआर व 7 डेपुटी हेड गर्ल्स का चुनाव होता है। इसमें कोई एक प्रेजिडेंट नहीं होता। इसके लिए आज (16 अगस्त) से नॉमिनेशन है। और 18 अगस्त को चुनाव होंगे। वॉइस प्रिंसिपल डॉ. सिस्टर रानी को चुनाव प्रभारी बनाया गया है।

चुनावों के लिए न कोई प्रचार प्रसार किया जाता है और न कोई खर्चा। नॉमिनेशन फाइल कर यहां चुनाव लड़ने वाली गर्ल्स केवल अपना प्रजेन्टेशन देती है। यह चुनाव पूरी तरह से नॉन पॉलिटिकल होता है।
7 सब्जेक्ट के अलग-अलग डिप्टी हेड
प्रिंसिपल सिस्टर पर्ल ने बताया कि आर्ट्स, कॉमर्स, ऑनर्स, साइंस, बीबीए, बीसीए और पीजी से डिप्टी हेड गर्ल्स का चुनाव होता है। यह सभी चुनी हुई प्रतिनिधि होती हैं। इसके बाद चुने गए सीआर में से गेम्स कैप्टेन व वाइस कैप्टेन के साथ कल्चरल हैड भी चुना जाता है। इन सभी चुनावों के लिए न कोई प्रचार प्रसार किया जाता है और न कोई खर्चा।
अपना प्रजेन्टेशन देती है चुनाव लड़ने वाली गर्ल्स
यहां स्टूडेंट्स को कैंपेनिंग नहीं करने दी जाती। नॉमिनेशन फाइल कर यहां चुनाव लड़ने वाली गर्ल्स केवल अपना प्रजेन्टेशन देती हैं। जिसमें उन्हें बताना पड़ता है कि वे एक साल में स्टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए क्या करेंगी। अगर स्टूडेंट्स को उनका प्रजेंटेशन पसंद आता है तो वे उसके पक्ष में वोट करती हैं। एक ही संकाय से एक से ज्यादा गर्ल्स भाग लेती है। यह चुनाव पूरी तरह से नॉन पॉलिटिकल होता है। चुनाव जीतने के बाद डिप्टी हैड हो या सीआर, साल भर कॉलेज में होने वाले कार्यक्रम व व्यवस्था में सहयोग करते है।

पर्ची पर कॉलेज का स्टैम्प होता है, स्टूडेंट इस पर जिसे वोट देना है, उसका नाम लिखते हैं।
पर्ची सिस्टम से चुनाव
पूरा चुनाव पर्ची सिस्टम से होता है। वोटिंग वाले दिन हर क्लासरूम में एक मतपेटी (वोटिंग बॉक्स) रख दिया जाता है। स्टूडेंट्स को कॉलेज की स्टैंप लगी पर्चियां बांटी जाती हैं। पर्ची में नॉमिनेशन दर्ज कराने वाली स्टूडेंट्स में से किसी एक का नाम लिखना होता हैं। अपना मत फोल्ड करने के बाद मतपेटी में डालना होता है।

इलेक्शन का रिजल्ट निकालने का तरीका भी अनोखा होता है। काउंटिंग स्टूडेंट्स के सामने होती है और जीतने वाली स्टूडेंट का नाम क्लासरूम के बोर्ड पर लिखा जाता है।
सबसे ज्यादा वोट लाने वाली बनती है डिप्टी हेड
ग्रेजुएशन में थर्ड ईयर की स्टूडेंट को ही डिप्टी हेड गर्ल चुना जाता है। इसके लिए फाइनल ईयर की स्टूडेंट जो सबसे ज्यादा वोट लाती है, उसे डिप्टी हेड घोषित किया जाता है। जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाली स्टूडेंट को सीआर बनाया जाता है। चुनाव की यह सारी प्रक्रिया तीन दिन में पूरी कर ली जाती है।

पिछले साल डेपुटी हेड गर्ल्स चुनी गई साहिबा देवनानी ने कहा कि यहां चुनाव प्रेस्टिज पोइंट ऑफ व्यू से नहीं बल्कि सेवा के भावना से लड़ा जाता है।
प्रेस्टिज पोइंट ऑफ व्यू नहीं, बल्कि सेवा के भावना
पिछले साल डेपुटी हेड गर्ल्स चुनी गई साहिबा देवनानी ने बताया कि यहां चुनाव प्रेस्टिज पोइंट ऑफ व्यू से नहीं बल्कि सेवा के भावना से लड़ा जाता है। पढ़ाई के साथ साल भर कॉलेज की व्यवस्थाएं बनाए रखने में सहयोग करने के साथ कार्यक्रमों में भी सहयोग करते हैं। चुनाव पूरी तरह से निष्प्क्ष होते है। चुनाव जीतने के बाद जिम्मेदारी वहन करने में भी सक्रियता निभानी पड़ती है।

प्रिंसिपल सिस्टर पर्ल
यहां की गर्ल्स ने फहराया परचम
प्रिंसिपल सिस्टर पर्ल खुद इसी कॉलेज में पढ़ी हैं। पर्ल ने बताया कि यहां पढ़ी विनिता श्रीवास्तव व मालविका गर्ग आईएएस हैं। वहीं नाजली जाफरी और कविता भार्गव आईआरएस हैं। इसके अलावा आरएएस मेघना चौधरी, संगीता बेनीवाल, आम आदमी पार्टी की कीर्ति पाठक भी यहां पढ़ चुकी हैं। इसके अलावा कईं गर्ल्स हैं, जो आज बडे़ बडे़ पदों पर आसीन हैं।

वाइस प्रिंसिपल सिस्टर रानी इस बार चुनाव प्रभारी हैं। नॉमिनेशन से लेकर इलेक्शन रिजल्ट की घोषणा तक की जिम्मेदारी इनके पास है।
डेपुटी हैड गर्ल्स 2021-22
- शालिनी व्यास- आर्ट्स
- शाहिबा देवनानी – ऑनर्स
- रिंसी एथनी – साइंस
- दीप्ती जैन -कॉमर्स
- प्रेरणा लालवानी-कम्प्यूटर साइंस
- मिमांशा मलहोत्रा- मेनेजमेंट
- समरीन खान – पीजी

सोफिया कॉलेज से चुनाव लड़ने वाली पासाआउट लीडर्स 7 आईएएस, 9 आरएएस, 2 आईपीएस, 2 आईआरएस के अलावा एयरफोर्स, आरबीआई में अच्छी पोस्ट पर आसीन हैं।