बस्तर में डेंगू के कारण बढ़ी प्लेटलेट्स की मांग, ब्लड डोनेशन के लिए घंटों करना पड़ता है इंतजार


बस्तर (Bastar) में करीब 10 साल बाद डेंगू (Dengue) के कहर से हाहाकार मचा हुआ है. अब तक बीमारी की चपेट में आकर 6 लोगों ने दम तोड़ दिया है. पूरे जिले में 300 से ज्यादा डेंगू के एक्टिव मरीज हैं. कई मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है. शहर में रोजाना 50 से अधिक डेंगू पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. डेंगू के मरीजों को सबसे ज्यादा जरूरत प्लेटलेट्स (Platelets) की पड़ रही है. प्लेटलेट्स की मांग को पूरा करने के लिए लोगों को निजी पैथोलॉजी में दो दो दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है. सबसे बुरी स्थिति निजी अस्पतालों की है क्योंकि जिले में एक भी अस्पताल के पास खुद की पैथोलॉजी नहीं है, जिसमें खून से प्लेटलेट्स को अलग किया जा सके.

एकमात्र निजी लैब में है प्लेटलेट्स की सुविधा

डेंगू से पीड़ित मरीज बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. लेकिन उनका फैसला परेशानी का सबब बनता जा रहा है. निजी अस्पतालों में मरीज को भर्ती कर लिया जाता है लेकिन तबीयत बिगड़ने पर प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है और प्लेटलेट्स की व्यवस्था निजी अस्पतालों में नहीं है. एकमात्र निजी लैब में पहले ब्लड लेकर आना पड़ रहा है और उसके बाद भी 24 घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में मरीजों की स्थिति खराब हो जाती है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में प्लेटलेट्स के लिए सिर्फ दो ही जगह हैं- एक मेडिकल कॉलेज और दूसरा निजी लैब. जिले में ब्लड से प्लेटलेट्स अलग करने के लिए दो ही जगह सेटअप है. सरकारी महारानी अस्पताल (Govt Maharani Hospital) में भी सेटअप का अभाव है. प्लेटलेट्स के बदले खून चढ़ाकर ही इलाज किया जा रहा है. ऐसे में मरीजों को बड़ी मुश्किल हो रही है. निजी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या के बाद एक मात्र निजी पैथोलॉजी पर दबाव बढ़ गया है. रक्तदान करने के लिए भी 5 से 6 घंटे का इंतजार डोनर को करना पड़ रहा है.

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दूसरे राज्यों में डेंगू का इलाज कराने को मजबूर

तीमारदारों का कहना है कि प्लेटलेट्स की कमी की वजह से मरीज की तबियत और बिगड़ती जा रही है. जिले में कहीं भी ब्लड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. परिजनों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि सरकारी महारानी अस्पताल में भी सुविधा मिले ताकि निजी लैब और निजी अस्पतालों के चक्कर काटने न पड़े. इधर डेंगू से पीड़ित हो रहे कई मरीज दूसरे राज्यों में इलाज कराने को मजबूर हैं. जिले में अब तक 6 लोगों की प्लेटलेट्स कम होने से मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए प्लेटलेट्स की कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है. 

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