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- If He Could Not Contest The Election Himself, Then Persuaded The Family Members, Agreed To The Election With Engagement
दौसा17 मिनट पहले
प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। सोमवार को प्रदेश के सभी कॉलेज में कैंडिडेट ने नामांकन भी जमा करा दिया। इस दौरान राजस्थान यूनिवर्सिटी समेत अजमेर और बाड़मेर में पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा।
इस बीच दौसा के स्वर्गीय पंडित नवल किशोर स्नातकोत्तर कॉलेज में नामांकन के दौरान एक दिलचस्प कहानी सामने आई। यहां सपना मीना ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन भरा, लेकिन, चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा कारण उनके मंगेतर का सपना है।
सपना मीना बीए सेकेंड ईयर की स्टूडेंट है। इससे पहले रत्तीराम मीणा अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने वाले थे, लेकिन, पीजी में नियमों के कारण वे चुनाव नहीं लड़ सके। इधर, पहले से बड़ोली (दौसा) निवासी सपना से उनकी सगाई की बातचीत चल रही थी, लेकिन रिश्ता तय नहीं हुआ था। जब उन्हें पता चला कि वे चुनाव नहीं लड़ सकते तो उन्होंने सपना को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया। इसके लिए घरवालों से बातचीत कर सपना से सगाई के लिए राजी किया। वहीं, सपना के घर वाले भी इस रिश्ते के लिए तैयार हुए तो 18 अगस्त को दोनों की सगाई हुई। इसके बाद अब रत्तीराम ने सपना मीना को मैदान में उतारा है।
नामांकन भरने पहुंची तो निकाला घूंघट
सपना अभी निर्दलीय मैदान में उतरी है। सोमवार को जब सपना नामांकन भरने पहुंचीं तो इस दौरान रत्तीराम भी वहां मौजूद थे। इस पर सपना ने एक बार के लिए चुन्नी से अपना सिर भी ढक दिया।
सपना ने बताया कि मेरे मंगेतर रत्तीराम छात्र हितों के लिए कॉलेज में पिछले काफी दिनों से संघर्ष कर रहे हैं।
उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए मैं प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ रहीं हूं। छात्र हित के लिए मुझसे जो बन पड़ेगा वह काम मैं करूंगी। सपना ने कहा- उसका चुनाव लड़ने का कोई विचार नहीं था। रत्तीराम से उसकी सगाई की बात पहले से ही चल रही थी। ऐसे में रत्तीराम चुनाव नहीं लड़ सके तो अध्यक्ष पद के लिए मुझे कैंडिडेट बनाया। अब कैम्पेनिंग में वे अपने समर्थकों के साथ जुटे हुए हैं।

इसलिए चुनाव नहीं लड़ सकते रत्तीराम
दरअसल, राहुवास निवासी रत्तीराम मीणा ग्रेजुएशन पास कर चुके थे। दो साल कोरोना की वजह से चुनाव नहीं लड़ सके। पीजी में एडमिशन की तैयारी की तो कॉलेज निदेशालय की ओर से आदेश जारी किया गया कि इस बार केवल यूजी स्टूडेंट ही चुनाव लड़ सकेंगे। ऐसे में रत्तीराम का चुनाव लड़ने का सपना अधूरा रह गया।
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