श्रीगंगानगरएक घंटा पहले
श्रीगंगानगर की सड़कों पर कीर्तन करते विदेशी।
कृष्ण जन्माष्टमी शुक्रवार को है। देश के सभी लोग तो कान्हा के स्वागत की तैयारी में हैं ही इस बार कुछ विदेशी भी श्रीगंगानगर में भारतीय रंग में रंगे नजर आएंगे। ये वे विदेशी हैं जो इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्सियशनेस यानी इस्कॉन से जुड़े हैं। इस्कॉन से जुड़ से लोग रूस, मल्दोवा और कई अन्य देशों के हैं तथा इस बार कृष्ण जन्माष्टमी श्रीगंगानगर में मनाएंगे।
मल्दोवा की अनंदा और उसकी साथी एना।
कृष्णा के नाम में है शांति
इन्हीं लोगों के साथ आई अनंदा भगवान कृष्ण के नाम को शांति का पर्याय बताती हैं। अनंदा रोमानिया और यूक्रेन के बीच बसे एक छोटे से देश मल्दोवा की रहने वाली हैं। वे कहने को विदेशी है लेकिन मन से पूरी तरह से भारतीयता के रंग में रंग गई है। वह भजन गाती है।भजनों की धुन पर झूमती है, अपने विदेशी अंदाज में श्लोक भी बोलती है और भारत की संस्कृति और कृष्ण भक्ति को शांति का पर्याय बताती है। उसका कहना है कि जब उसने पहली बार श्रीमद्भगवत गीता पढ़ी तो उसे कुछ भी समझ नहीं आया। इसके बावजूद गीता अपने पास रखने के सवाल पर उसका कहना था कि इसमें शांति है। कृष्ण कौन है के सवाल पर अनंदा का कहना था कि कृष्ण भगवान है। वे आदि पुरुष हैं।
![श्रीगंगानगर में कीर्तन करता विदेशी।](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/08/19/whatsapp-image-2022-08-19-at-123846-am_1660850149.jpeg?resize=717%2C900&ssl=1)
श्रीगंगानगर में कीर्तन करता विदेशी।
भारत आकर खत्म हुई शांति की तलाश
अनंदा बताती हैं कि वे मल्दोवा में भी समाज सेवा करती थी लेकिन शांति नहीं मिली। इसकी तलाश में र्क प्रयोग किए। कई संप्रदायों के साथ जुड़ाव भी रहा लेकिन शांति की तलाश आखिर भारत आकर खत्म हुई। यहां जब श्रीमद्भवगत गीता समझा और पढ़ा तो मन शांत हो गया। वे बताती हैं कि उन्हें ज्ञान और शांति की तलाश थी। उसकी मां ने उसे पहली बार श्रीमद्भगवत गीता दी। उस समय वह उसे समझ तो नहीं पाई लेकिन उसे पास रखने से ही उसे शांति मिली। वे बताती हैं कि शांति का पर्याय केवल कृष्णा है। वे बताती हैं की वे बाईस साल से इस्कॉन से जुड़ी हैं और पिछले साल दिसम्बर में भारत में ही बस गईं।
![जन्माष्टमी पर सजा श्रीगंगानगर का इस्कॉन सेंटर।](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/08/19/whatsapp-image-2022-08-19-at-123804-am_1660850208.jpeg?resize=719%2C624&ssl=1)
जन्माष्टमी पर सजा श्रीगंगानगर का इस्कॉन सेंटर।
दीनदयाल यानी दयालु भगवान
इन्हीं के साथ सुखाड़िया नगर स्थित इस्कॉन सेंटर आए रूस के दिमित्री का कहना था कि वे दस साल से इस्कॉन से जुड़े हैं। शुरुआत में रूस में रहे। वहां हजारों लोग हैं जो इस्कॉन से जुड़ाव रखते हैं। उन्हीं को देखकर वे भी इससे जुड़ गए और भारतीय संस्कृति को अपना लिया। इस्कॉन में उन्हें नाम मिला दीनदयाल। अपने नाम का हिंदी अर्थ पूछने पर बोले दयालु भगवान। वे बताते हैं कि उनके पिता ने उन्हें कुछ पुस्तकें दीं। इन्हें पढ़ा तो भारतीय संस्कृति की और झुकाव हो गया। अब भारतीय संस्कृति ही उनके लिए सबकुछ है। वे बताते हैं कि पहले वे योग ट्रेनर थे। अब भारतीयता से जुड़कर उन्हें सुकून मिला है।
भक्ति संगीत कार्यक्रम में जमकर झूमे
श्रीगंगानगर में सुखाड़िया नगर स्थित इस्कॉन सेंटर पर गुरुवार शाम हुए भक्ति संगीत कार्यक्रम में इस्कॉन से आए ये विदेशी भक्त भक्ति संगीत की धुन पर जमकर झूमे। हरे कृष्णा की धुन गाते हुए ये लोग शहर की सड़कों से गुजरे।
श्रीगंगानगर में मनाएंगे जन्माष्टमी
इस्कॉन के से कृष्णभक्त शुक्रवार को श्रीगंगानगर में ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। यहां मुकेश ऑडिटोरियम में कार्यक्रम रखा गया है। यहां शाम से देर रात तक आयोजन चलेंगे। इस दौरान लोग कृष्ण भक्ति की धुन पर झूमेंगे।