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- With The Help Of This ‘AC Government Of India’ Running In Rajasthan, Spreading Confusion Against The Constitution
जयपुरएक घंटा पहलेलेखक: मनीष व्यास
क्या आपने कभी एक रुपए का नोट ध्यान से देखा है? अगर नहीं तो पहले देख लीजिए…।
अब 2 रुपए के नोट पर भी एक नजर दौड़ा लीजिए…।

आपने तीन बातें नोट की होंगी
पहली: एक रुपए के नोट पर केन्द्रीय रिजर्व बैंक नहीं बल्कि भारत सरकार लिखा हुआ है।
दूसरी: इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के बजाय केंद्रीय वित्त सचिव के दस्तखत हैं।
तीसरी: इस नोट पर रिजर्व बैंक की तरफ से धारक को एक रुपए अदा करने की कोई गारंटी भी नहीं लिखी है।
बाकी किसी भी नोट को उठाकर चेक कर लीजिए, उसमें RBI लिखा मिलेगा, गवर्नर के साइन होंगे और धारक को उतने रुपए अदा करने वाली गारंटी भी लिखी होगी।
एक रुपए के नोट में इस फर्क ने राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर सटे कई कई जिलों में एक गुमराह सोच को जन्म दिया है। ये सोच इस कदर घातक बनती जा रही है कि लोग इस आधार पर देश के संविधान को ही नकार रहे हैं।
उनका मानना है कि एक रुपए का नोट ही भारत की असली करेंसी है। इतना ही नहीं ये लोग भारत की केंद्र सरकार को भी नहीं मान रहे। इनका कहना है कि केंद्र भी एक रुपए के अलावा बाकी सभी नोट की तरह करार पर चलने वाली सरकार है। जिसके ऊपर रिजर्व बैंक की गारंटी लिखी हुई है। लोगों को बरगलाने वाला AC भारत सरकार (एंटी क्राइस्ट भारत सरकार) नाम का संगठन खुद को देश की असली सरकार बता रहा है।
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर एक रुपए के नोट का ये माजरा क्या है? क्यों ये लोग भारत के संविधान तक को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर उन जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट जुटाई फिर एक रुपए और बाकी करेंसी में इस फर्क पर पड़ताल की। जानिए, एक रुपए के नोट पर RBI क्यों नहीं लिखा जाता?, कहां से इसकी शुरुआत हुई?, क्यों फाइनेंस मिनिस्ट्री ही इस नोट को छापती है?
पहली बार ब्रिटिश राज में छपे थे एक रुपए के नोट
1934 में आए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट का सेक्शन 24 कहता है कि RBI 2 लेकर 10 हजार रुपए तक के नोट ही छाप सकता है। इसमें एक रुपए के नोट का जिक्र नहीं है। एक रुपए का नोट केवल भारत सरकार छाप सकती है। दरअसल, देश में एक रुपए के नोट 1917 में छपने शुरू हुए। तब पहले विश्वयुद्ध का दौर था। उस वक्त एक रुपए के नोट इसलिए छापने पड़े क्योंकि करेंसी की जितनी मांग थी, उसकी सप्लाई करने के लिए ब्रिटिश राज के पास पर्याप्त सिक्के नहीं थे। वहीं, नए सिक्कों की ढलाई में काफी समय में लगता था। ऐसे में 30 नवंबर 1917 को पहली बार एक रुपए के नोट छापे गए। तब इन पर किंग जॉर्ज पंचम की फोटो छपी थी।

इसलिए RBI नहीं छापता एक रुपए के नोट
साल 1933 तक आरबीआई का कोई वजूद नहीं था। जब 1934 में भारतीय रिजर्व बैंक एक्ट बना, तब ब्रिटिश सरकार पहले से ही एक रुपए का नोट छाप रही थी। ऐसे में अगर रिजर्व बैंक को भी एक रुपए के नोट को छापने का पावर दे दिया जाता तो एक रुपए के दो तरह के नोट बाजार में चलन में आ जाते। इससे बड़ी विसंगति खड़ी हो सकती थी।
इससे बचने के लिए एक रुपए के नोट की छपाई सरकार के पास ही रहने दी गई, जबकि दूसरे सभी नोटों की प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का जिम्मा रिजर्व बैंक को ही दिया गया। बस इसी कारण आज सभी एक रुपए के नोट पर भारत सरकार लिखा हुआ है।

महंगी लागत पर भी एक रुपए के नोट छाप रही भारत सरकार
साल 1994 में लागत बढ़ने के साथ ही भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 1 रुपए के करेंसी नोट को छापना बंद कर दिया था, क्योंकि सरकार को एक रुपए के नोट से एक रुपए की ही आमदनी होनी थी, लेकिन उसको छापने की फेस वैल्यू उससे तकरीबन 15 पैसे ज्यादा हो गई थी।
इसके बाद धीरे-धीरे मार्केट में एक रुपए के नोट गायब होने शुरू हो गए। कई लोगों ने एक रुपए के नोटों को स्टोर करना शुरू कर दिया और इसे स्टेटस सिंबल बना लिया।
इसके चलते इन नोटों की कालाबाज़ारी भी शुरू हो गई। कई ईकॉमर्स साइट्स पर महंगे रेट पर एक रुपए के नोट के एलबम भी बिकने शुरू हो गए। ऐसे में देश में करेंसी नोट की हालत सुधारने के लिए साल 2015 में इसे दोबारा छापना शुरू किया। इसे लेकर भारत सरकार ने 7 फरवरी 2020 को गजट अधिसूचना भी जारी कर दी, लेकिन इस बार ये नियम बनाया गया कि धारक हजार रुपए से ज्यादा के एक रुपए के नोट लेने के बाद मना भी कर सकता है।

इकोनॉमिस्ट व राजस्थान विश्विद्यालय के प्रोफेसर एसएस सोमरा ने बताया कि एक रुपए के नोट को रिजर्व बैंक एक्ट की धारा 24 के तहत रिजर्व बैंक नहीं छाप सकती है। इसके चलते कुछ आइडियोलॉजी लोगों को गुमराह करती है पर ऐसा नहीं है। देश में एक रुपए का नोट पहली बार ब्रिटिश राज में ही 30 नवंबर 1917 को छप गए थे। वहीं, रिजर्व बैंक एक्ट इसके बाद बना था। इसके चलते इस नोट को भारत सरकार की फाइनेंस मिनिस्ट्री ही प्रिंटिंग करवाती है। अब नए नियमों में एक हजार रुपए से ज्यादा के एक रुपए के नोट लेने से धारक मना कर सकता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 1917 से 2017 के बीच एक रुपए के नोट 125 अलग-अलग तरीके से छापे गए।
कई वेबसाइट्स एक रुपए के नोट से लखपति बनने का देती ऑफर
एक रुपए के नोट को लेकर कई वेबसाइट्स पर कई तरह के दावे किए जाते हैं। इसे ऑनलाइन अवैध तरीके से खरीदा और बेचा जा रहा था। एक रुपए के नोट से लखपति बनाने का लालच दिया जा रहा था। इसके चलते इसकी वैल्यू बहुत ज्यादा हो गई। दरअसल, कई वेबसाइट पर इन नोटों की नीलामी हो रही थी। तब CoinBazzar की वेबसाइट पर विशेष सीरीज के 1 रुपए के बंडल की कीमत 49,999 रुपए थी, लेकिन डिस्काउंट के बाद इस बंडल को 44,999 रुपए में बेचा जा रहा था। कई दूसरी शॉपिंग साइट्स पर एक रुपए के अलग-अलग नोट्स (विशेष सीरीज) के एक हजार रुपए के बंडल को 1500 रुपए से लेकर 70 हजार रुपए तक बेचा जा रहा था।

कुछ ऐसा दिखता था 10 हजार रुपए का नोट।
कभी चलता था 10 हजार रुपए का नोट
इस समय सबसे ज्यादा वैल्यू का नोट 2000 रुपए का ही है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब भारत में 10 हजार रुपए का नोट भी छापा गया। यह नोट 1938 में छपे थे। हालांकि इसे दो बार विमुद्रीकृत (Demonetized) कर दिया गया। पहले 1946 में और बाद में 1954 में फिर से चालू कर 1978 में बंद कर दिया गया। बंद करने के पीछे क्या कारण थे, इसके बारे में अधिकृत जानकारी कहीं नहीं दी गई है।

यहां क्लिक कर पढ़ें AC भारत सरकार संगठन कैसे काम करता है उसकी पूरी कहानी….