Viral Video: जंगल का राजा अपने बच्चों के साथ सड़क पर कर रहा तफरी, वीडियो हुआ वायरल


MP News: टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में अब बाघों (Tiger) के दीदार राह चलते हो रहे हैं. हाल ही छिंदवाड़ा (Chhindwara) जिले के तामिया में एक बाघिन अपने तीन शावकों के साथ अचानक कार के सामने आ गई. ड्राइवर ने कार रोककर टाइगर और मस्ती करते उसके शावकों का वीडियो भी बनाया. अब वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. कार की हेडलाइट में बाघ और उसके शावक साफ दिखाई दे रहे थे. हालांकि, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) से सटे इलाके में बाघिन के मूवमेंट से दहशत है.

तीन शावकों के साथ सड़क पार करते हुए स्पॉट हुई बाघिन 

वन विभाग के जानकार सूत्रों ने बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लगे तामिया के झिरपा चावलपानी मार्ग पर मड़का वाड़ा के पास रविवार रात कार के सामने अचानक एक बाघिन अपने तीन शावकों को लेकर आ गई. इससे कार ड्राइवर पहले तो घबरा गया लेकिन बाद में उसने अपने मोबाइल कैमरे से वीडियो बनाना शुरू कर दिया. दरअसल, बाघिन शावकों के साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के आस-पास गांवों में पिछले कई दिनों से देखी जा रही है. वन विभाग ने भी इस इलाके में गश्त बढ़ा दी है. कार ड्राइवर ने ही वन विभाग को बाघिन के मूवमेंट की सूचना दी थी.

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कहा जा रहा है कि पहला मौका है जब इस क्षेत्र में बाघिन अपने शावकों के साथ सड़क पार करते हुए स्पॉट हुई है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से लगे घने जंगली इलाके में बाघिन स्पॉट हुई है. वन विभाग ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है और रात में आते-जाते समय सावधानी रखने की हिदायत दी है. इस क्षेत्र से लगे झिरपा और चावल पानी के ग्रामीणों में बाघ की चहलकदमी से दहशत का माहौल है. किसान रात में खेत आने-जाने से कतरा रहे हैं. समय रबी सीजन की बुवाई का है. ऐसे में किसान अपने खेतों की बुआई करने से भी डर रहे हैं.

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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 1339.26 वर्ग किमी का

बता दें कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 1339.26 वर्ग किमी का है. 794.04 वर्ग किमी के बफर जोन को मिलाकर पार्क 2133.30 वर्ग किमी में फैला है. सतपुडा टाइगर रिजर्व नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित सतपुडा पर्वतमाला क्षेत्र में जैव विविधता से समृद्ध वनक्षेत्र है. ये अनेक लुप्त प्राय प्रजातियों का रहवास है. इस विशेषता को ध्यान में रखते हुये सतपुडा टाइगर रिजर्व को मध्यप्रदेश के प्रथम बायोस्फियर रिजर्व के रूप में वर्ष 1999 में घोषित किया गया. सतपुड़ा के पचमढी पठार पर साल के घने वन एवं निचले समतल क्षेत्र में सागौन मिश्रित उच्च श्रेणी के वन आच्छादित हैं. यहां हिमालयीन क्षेत्र की 26 एवं नीलगिरी क्षेत्र की 42 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसी कारण से यह वेस्टर्न घाट के उत्तरी छोर के रूप में भी जाना जाता है.



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