Navratri 2022 Ashtami: नवरात्रि की दुर्गाष्टमी कब ? जानें डेट, पूजा का मुहूर्त


Shardiya Navratri 2022 Ashtami Puja: शारदीय नवरात्रि में आखिरी के दो दिन अष्टमी और नवमी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन दो दिनों में मां की पूजा, जाप, अनुष्ठान, सेवा, उपाय करने से जीवनभर खुशहाली बनी रहती है. इस बार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 3 अक्टूबर 2022 (Navratri 2022 Ashtami date) को है.

नवरात्रि या दुर्गोत्सव का आठवें दिन दुर्गाअष्टमी के नाम से जाना जाता है. इसे महाष्टमी भी कहते हैं. अष्टमी पर मां महागौरी का पूजन कर कई लोग व्रत का पारण भी करते हैं. इस दिन 7 शुभ काम जरूर करना चाहिए, मान्यता है इससे नवरात्रि के नौ दिनों का अनंत फल मिलता है.

संधि पूजा (Ashtami Sandhi Puja)

अष्टमी पर संधि काल पूजा बहुत फलदायी मानी गई है. अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी शुरू होने के शुरुआती 24 मिनट की अवधि को संधि काल कहते हैं. इस समय मां दुर्गा की पूजा से वे बहुत प्रसन्न होती हैं.

संधि पूजा मुहूर्त – शाम 04.13 – शाम 05.01

कन्या पूजा (Kanya puja 2022)

महाअष्टमी पर 9 कन्या का पूजन जरूर करें. इन 9 कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा करने से व्रत पूर्ण माना जाता है. पूजन के बाद चना, पूड़ी और हलवे का भोजन कराएं और फिर दान दक्षिणा देकर विदा करें. कन्या के साथ एक बटुक(बालक) को भी आमंत्रण दें.

हवन (Hawan)

जो लोग अष्टमी पर व्रत का पारण करते हैं वह मां के समक्ष हवन जरूर करें. हवन के बिना नवरात्रि व्रत का फल नहीं मिलता. हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अष्टमी पर संधि काल में हवन करना शुभ माना गया है.

लाल चूनर (Lal chunari)

देवी को अष्टमी पर लाल चुनरी में 5 प्रकार के फल, मिठाई, पंचमेवा, एक सिक्का रखकर अर्पित करें. कहते हैं इससे मां अंबे बहुत खुश होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है.

भोग (Ashtami bhog)

दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी को हलवा, पूड़ी,चने और नारियल का भोग अति प्रिय है. मान्यता है इससे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, साथ ही धन से संबंधित परेशानियां खत्म हो जाती है.

16 श्रृंगार दान (16 Shringar Daan)

महाष्टमी के दिन दुर्गा मां की पूजा में 16 श्रृंगार की पूर्ण सामग्री देवी के चरणों में अर्पित करना चाहिए. इसके बाद इन्हें सुहागिनों को दान दें. कहते हैं इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है.

शनि दोष (Shani dev Puja)

मां दुर्गा में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है. अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि की महादशा से मुक्ति पाने के लिए मां भवानी के साथ शनिदेव की भी विधिवत पूजा करें. शास्त्रों के अनुसार इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव कम होंगे.

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