Maa kushmanda Aarti: मां कूष्मांडा की आरती और कथा


Navratri 2022 Maa Kushmanda Aarti: अष्टभुजा देवी यानी मां कूष्मांडा नवरात्रि की चौथी शक्ति है. मां दुर्गा के इस रूप से ब्रह्मांड की रचना हुई थी. 29 सितंबर 2022 को मां कूष्मांडा की पूजा होगी. देवी कूष्मांडा रोग विनाशक मानी गई हैं, इनकी आराधना से भक्त को गंभीर बीमारियों से राहत मिलती हैं और आरोग्या का वरदान प्राप्त होता है. आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की आरती और कथा.

मां कूष्मांडा की कथा (Maa Kushmanda Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार संसार का जब कोई अस्तित्व नहीं था. हर जगह सिर्फ काला अंधेरा छाया था. उस समय मां दुर्गा के चौथे रूप ने जन्म लिया और ब्रह्मांड की रचना की. मां कूष्मांडा सृष्टि की आदि-स्वरूप हैं. देवी का ये रूप सौरमंडल में विराजमान है. इनके तेज स्वर्ण के समान है और और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं. इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य में बढोत्तरी होती है.

जगत जननी मां जगदंबा नवरात्रि में पृथ्वी पर वास करती हैं. इस दौरान मां के निमित्त पूजा-पाठ और उपाय से जीवन से कष्टों का विनाश होता है और मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से मजबूत होता है. घर में संपन्नता बनी रहती है

मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥ कूष्मांडा जय…

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ कूष्मांडा जय…

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ कूष्मांडा जय…

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥ कूष्मांडा जय…

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥ कूष्मांडा जय…

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