<p style="text-align: justify;"><strong>रायपुर:</strong> छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण के मामले में विवाद बढ़ता ही जा रहा है. आदिवासियों की 12 फीसदी आरक्षण घटने के लिए बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. अब इस मामले में आदिवासी समाज ने बड़ा फैसला किया है. कांग्रेस पार्टी के आदिवासी नेताओं, मंत्रियों और विधायकों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. कांग्रेस के आदिवासी जनप्रतिनिधि अपना एक महीना का वेतन कानूनी खर्च के लिए देंगे. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर आदिवासी आरक्षण को कम करने का आरोप लगाया है. उसका कहना है कि इसलिए कांग्रेस के आदिवासी जनप्रतिनिधियों का अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कांग्रेसी जनप्रतिनिधि देंगे एक महीने का वेतन</strong><br />मंगलवार को प्रदेश सरकार में मंत्री कवासी लखमा और कांग्रेस के आदिवासी विधायक और सांसद समेत समाज के बड़े नेताओं की रायपुर में बैठक की. इस बैठक में तीन कमेटियां बनाने का निर्णय लिया गया. इन कमेटियों को आरक्षण के मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी दी गई है. ये कमेटियां सुप्रीम कोर्ट में 32 फीसदी आरक्षण को लेकर अपना पक्ष रख कर आरक्षण बढ़ाने की मांग करेंगे. इस दौरान होने वाले खर्च के लिए सभी विधायक सांसद और मंत्री एक महीने का वेतन देंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">रायपुर में हुई बैठक के बाद कवासी लखमा ने मीडिया से कहा कि तीन-चार घंटे तक मंथन किया गया. इसमें आदिवासी कर्मचारी, सर्व आदिवासी समाज और कुदुक समाज के नाम से तीन कमेटियों का गठन किया गया. इन कमेटियों के नेता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. आदिवासी जनसंख्या का डाटा ढूंढ रहे हैं. कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया जाएगा. इस मामले में कैबिनेट में भी चर्चा हुई है. <a title="दिवाली" href="https://www.abplive.com/topic/diwali-2022" data-type="interlinkingkeywords">दिवाली</a> के बाद कानूनी राय लेने के बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे.इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हमारी लड़ाई को समर्थन दिया है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आदिवासी आरक्षण पर कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने</strong><br />कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने आरक्षण घटने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. सिंह ने कहा कि 2012 से 2018 तक इनकी सरकार रही कोर्ट में इन्होंने सबूत मजबूती से नहीं रखा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आते तक इस मामले में सुनवाई हो गई थी. साक्ष्य पूरे पेश हो चुके थे. इसके बाद 2018 में हमारी सरकार बनी तो केवल डेटिंग-पेंटिंग का काम बचा था. वहीं बीजेपी प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ का आदिवासी समाज आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लेने के लिए विवश हुआ है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के आदिवासी जनप्रतिनिधियों को भी अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है.</p>
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सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी आरक्षण की लड़ाई, एक माह का वेतन देंगे कांग्रेसी आदिवासी जनप्रतिनिध
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