शरद ऋतु में मलेरिया से बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके, जानें एक नई दवा के बारे में


Malaria Prevention: सर्दी के मौसम में जितनी तरह के बुखार होते हैं, मलेरिया इनमें प्रमुखता से शामिल है. अब मलेरिया (Malaria Fever) को सिर्फ बारिश के दिनों में फैलने वाला बुखार नहीं माना जा सकता. वैसे शरद ऋतु में मलेरिया के केस पुराने समय से ही बहुत अधिक बढ़ते रहे हैं और इस ऋतु में होने वाला मलेरिया सिर्फ मच्छरों के कारण नहीं बल्कि पित्त बढ़ने के कारण भी होता है. इस बात को समझने की बहुत जरूरत है, क्योंकि यदि शरीर में पित्त (Pitta) का असंतुलन ना हो तो मलेरिया का वायरस (Virus of malaria) शरीर में ज्यादा समय के लिए जीवित नहीं रह पाता है, यह आयुर्वेदिक मान्यता है.  

भारत में शरद ऋतु (Winter Season) का समय सितंबर से दिसंबर तक माना जाता है. इस आधार पर आप मान सकते हैं कि इन तीन महीनों के समय में मलेरिया का रिस्क बना रहता है. आयुर्वेद के अनुसार इस समय में आपको दूध से बनी खीर का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए. इस बारे में हमने आपको शरद पूर्णिमा के समय भी एक स्टोरी के माध्यम से बताया था, जिसे आप इस स्टोरी में दी गई जानकारी पाने के बाद यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं- जमकर खीर खाएं और मलेरिया का खतरा दूर भगाएं, शरद ऋतु में सेहतमंद रहने का है ये सीक्रेट. इसमें आप जान पाएंगे कि खीर खाने से मलेरिया से किस तरह बचाव होता है. अब बात करते हैं, उस दवाई के बारे में जिसे लेकर कहा जा रहा है कि ये 6 महीने तक मलेरिया का खतरा दूर रखेगी.

6 महीने तक मलेरिया से बचाएगी ये दवाई?

दरअसल, अफ्रीकी देश माली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवाई तैयार की है, जिसकी एक डोज लेने के बाद अगले 6 महीने तक मलेरिया का वायरस व्यक्ति के शरीर में ऐक्टिव नहीं हो पाएगा.

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  • यह तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि मलेरिया फीमेल एनोफेलेस (Female Anopheles) मच्छर के काटने से होता है. वो भी उन फीमेल मच्छरों के काटने से जो प्लाज्मोडियम वीवेक्स नामक वायरस से संक्रमित होते हैं. इस मच्छर में पाया जाने वाला वायरस उन लोगों के शरीर में संक्रमण का प्रसार नहीं कर पाएगा, जिन लोगों को माली की बामको यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार इस दवाई की एक डोज दी जा चुकी होगी.
  • इस दवाई पर रिसर्च हो चुकी है और परीक्षण भी हो चुका है. माली की बामको यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज, टेक्नीक्स ऐंड टेक्नोलजी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस दवाई के माध्यम से लोगों के शरीर में मलेरिया से लड़ने वाली एंटिबॉडीज डाली जाती हैं. ये शरीर के अंदर करीब 6 महीने तक प्रभावी रहती हैं.
  • जो व्यक्ति एंटिबॉडीज युक्त मलेरिया की इस दवाई का सेवन कर लेता है, उसे यदि मलेरिया का मच्छर काट लेता है तो शरीर में पहले से मौजूद ऐंटिबॉडीज इस वायरस को मार देती हैं. इसके लिए शरीर को ऐंटिबॉडीज बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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