अलवरएक घंटा पहले
बिजली घर चौराहे पर खाना खाते बुजुर्ग व गरीब लोग।
ये लोग मोक्ष में जाएंगे। यहां बहुत अच्छा खाना देते हैं। दीपावली को भी यहीं खाना खाने आया हूं। एक साल से खाता आ रहा हूं। मेरे बेटे-बेटी खाना नहीं देते हैं। यह 70 साल के बुजुर्ग विनय सिंह का कहना है । इसी तरह दाउदपुर के निवासी बुजुर्ग रामबिहारी कहते हैं कि घर में क्लेश रहता है। परिवार के लोग गम खिलाते हैं। मतलब दुखी रखते हैं। इसलिए चौराहे पर लगने वाली विजन संस्था की रसोई का खाना रोड पर खाना ही अच्छा लगता है।
इस तरह रोजाना सम्मान से खााना मिलता है। यहां सैकड़ों की संख्या में गरीब लोगों को निशुल्क भोजन मिलता है।
जब सोमवार को दीपावली के दिन लोग अपने-अपने घरों में मिष्ठान खाकर बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने में लगे थे। तब ऐसे अनेक लोग हैं तो चौराहे पर खाना खाने के लिए लाइन में लगे थे। असल में अलवर शहर के बिजली घर चौराहे पर रोजाना सुबह-शाम गरीबों को नि:शुल्क खाना मिलता है। दीपावली के दिन यहां मिठाई, रोटी, सब्जी, पिज्जा तक बुजुर्ग, गरीब, मरीजों के परिजनों को खिलाया गया। यहां हर दिन की तरह लाइन लगी। कुछ प्लेट लेकर खाने की लाइन में लगे थे। कुछ खाना खाते दिखे। बहुत से चेहरे ऐसे थे जो रोजाना आते हैं। काफी संख्या जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों की भी थी। लेकिन, विजन संस्थान से जुड़ेे करीब एक दर्जन युवा इनको खाना खिलाने के बाद ही घर पर दीपावली मनाने गए।
496 दिन से खाना खिला रहे
विजन संस्था के हिमांशु शर्मा ने बताया कि बिजली घर चौराहे पर 496 दिन से लगातार सुबह-शाम गरीब लोगों को भोजन कराया जाता है। अब दीपावली पर भी हमनें व्यवस्था चालू रखी। अब यहां आने वाले लोग परिवार की तरह लगते हैं। उनको खाना खिलाने के बाद हम घर गए। तब परिवार के लोगों के साथ दीपावली मनाई। हमारे यहां कोई भूखा नहीं जाता है। रोजाना समय पर खाना आता है। दीपावली के दिन मिठाई व पिज्जा खिलाने का इंतजाम तक किया गया। सब बड़ेे खुश है। काफी बुजुर्ग हैं जो रोजाना यहां खाने आते हैं। हमारा भी उनके साथ मन लगता है।