13 मिनट पहले
जवाहर कला केन्द्र के अलंकार म्यूज़ियम में कल बुधवार से मिस्र का 3500 साल पुराना इतिहास फिर जीवंत हो उठेगा। मिस्र के मकबरे में दफनाए गए वहां के राजा तूतनखामुन और उनके परिजनों के शवों के ताबूतों (ममी) के साथ उस समय उनके सम्मान में दफनाई गई सैकड़ों वस्तुओं की ऐग्जीबिशन लगेगी। ये अनूठा आयोजन बीकानेर की संस्था धोरां इन्टरनेशनल आर्टिस्ट सोसायटी, जवाहर कला केन्द्र और मिस्र की संस्था फेस्रोज़ लैंड की ओर से किया जा रहा है जो कि 7 सितंबर से 7 अक्टुबर तक चलेगा। जिसका उद्घाटन 7 सितम्बर शाम को राजस्थान के कैबिनेट मंत्री बी डी कल्ला करेंगे। ऐग्जीबिशन पब्लिक के लिए 8 सितंबर से 7 अक्टुबर तक रोजाना सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी।
तूतनखामुन में निकले 250 स्कल्पचर में से कुछ आकृतियां
ऐग्जीबिशन के अखिल भारतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि वैसे तो मकबरे में मिस्र सभ्यता की हजारों दुर्लभ वस्तुएं मौजूद हैं लेकिन उनमें से सिलेक्टेड लगभग 250 वस्तुओं और शवों के ताबूत (ममी) की रेप्लिका एग्जीबिट की जाएगी। इन रेप्लिकाओं का निर्माण मिस्र के कलाकार डॉ. मुस्तफा अवलजैबी, ओसामा और मोहम्मद ने किया है। उन्होंने बताया कि मिस्र की सरकार ने इस अनूठे मकबरे का रेप्लिका बनाने के लिए इन्हीं तीन आर्टिस्ट को जिम्मा दिया है।
वहीं मिस्र के कलाकार डॉ. मुस्तफा अवलजैबी ने बताया कि 30 सालों की मेहनत के बाद ये नायाब सक्लपचर बनाकर तैयार किए हैं। उन्होंने ये भी बताया की राजा तूतनखामुन का मकबरा करीबन 100 साल पहले मिला था। जिसकी अब भारत समेत अन्य देशों में सैंचुरी सैलिब्रेट की जा रही है। हालांकि एशिया में सबसे पहले जयपुर के जकेके में ही ये ऐग्जीबिशन लगाई जा रही है।
![30 सालों की मेहनत के बाद बनकर तैयार हो पाए ये गोल्ड प्लेटेड स्कल्पचर](https://i0.wp.com/images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/09/06/img8072_1662471201.jpg?resize=1110%2C740&ssl=1)
30 सालों की मेहनत के बाद बनकर तैयार हो पाए ये गोल्ड प्लेटेड स्कल्पचर
तूतनखामुन की मौत के बाद 3000 साल बाद ब्रिटिश पुराविदों ने खोजी कब्र
इतिहासकार बताते हैं कि तूतनखामुन की मौत के 3000 साल बाद सन 1922 में ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट की एक टीम ने उनकी कब्र की खोज की थी। तुतनखामुन मिस्र का फारो था जिसकी कब्र को हावर्ड कार्टर ने 1922 में खोला। तूतनखामुन राजा मिस्र में राजातुत के रूप मे भीं लोकप्रिय है। वो राजा अखेनातेन के पुत्र थे। तुतनखामुन ईसा पूर्व सन् 1333 में जब तुत के नाम से राज गद्दी पर बैठा तब उसकी उम्र 9-10 साल थी। तुतनखामुन का मतलब है ‘अमन की छवि वाला’। दुर्भाग्य से उनका शासन मात्र दस साल ही चल पाया और 19 साल की उम्र में उनकी रहस्यमयी बीमारी से मृत्यु हो गई।
ऐग्जीबिशन देखने के लिए लेगेगा टिकट
ऐग्जीबिशन से तूतनखामुन के मकबरे और सैकड़ों स्कलपचर से आपको मिस्र की हजारों साल पुरानी सभ्यता लाइव फील करने का मौका मिलेगा। इस दुर्लभ विरासत को दिखने के लिए एंट्री फीस लगेगी। टिकट के लिए स्टूडेंट्स को 100 रूपए वहीं एड्ल्स को 200 रुपेए देने होंगे।