नवरात्रि में मां को प्रसन्न करने के लिये पढ़ें 9 दिन में ये मंत्र, साथ ही करें 9 भोग का दान


Shardiya Navratri 2022 Puja: शारदीय नवरात्रा, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक लगभग 216 घंटे, आद्याशक्ति, महाशक्ति रूपा देवी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा, वन्दना, नौ दिनों के नौ व्रतों का आध्यात्मिक, धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. उपासकों-साधकों-भक्तों की भावना, कामना यही होती है कि देवी मां प्रसन्न हों, कोई बाधा, व्याधि, कष्ट, आपदा से सुरक्षित रहें. कोई भी भय, दुःख ना हों.

वासन्तिक नवरात्र भगवान श्री विष्णु का प्रधान होता है तो यह शारदीय नवरात्रा शक्ति की उपासना विशेष है. इस वर्ष 2022 में सोमवार 26 सितंबर आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से मंगलवार 4 अक्टूबर आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तक यही नवरात्रि है. फिर अगले दिन विजयादशमी भगवान श्रीराम द्वारा लंकाधिपति रावण पर विजय का ‘विजय महोत्सव’ है. जानिये छोटे-छोटे मंत्र जिसे करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होगा. साथ ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

1. आरोग्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए प्रतिपदा तिथि यानि प्रथम दिन- शैलपुत्री माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. घी का दीपक जलाकर माता की पूजा करें और गाय के घी से बना नैवेद्य अर्पण करें और ऊँ हृीं श्रीं शैलपुत्री देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

2. दीर्घायु प्राप्ति के लिए द्वितीया तिथि यानि दूसरे दिन-ब्रह्मचारिणी माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. उन्हें शक्कर का भोग लगाकर उसका प्रसाद ग्रहण करें साथ ही श्रद्धानुसार शक्कर का दान करें. क्योंकि शक्कर का दान दीर्घायु कारक होता है और ऊँ हृीं श्रीं ब्रह्मचारिणी देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

3. दुखों की मुक्ति के लिए तृतीया तिथि यानि तीसरे दिन- चण्द्रघण्टा माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें, इस दिन दूध की प्रधानता होती है. माता को दूध से बने प्रसाद का भोग लगाएं और ऊँ हृीं श्रीं चन्द्रघण्टा देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

4. ज्ञान और बुद्धि विकास के लिए चतुर्थी तिथि यानि चैथे दिन- कुष्माण्डा माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन मालपुआ का नैवेद्य अर्पण कर प्रसाद ग्रहण करें और श्रद्धानुसार ब्राह्मण को भी मालपुए दान करें और ऊँ हृीं श्रीं कूष्माण्डा देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

5. व्यापार में लाभ और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पंचमी तिथि यानि- पांचवे दिन- स्कन्दमाता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन केले का नैवेद्य चढ़ाएं, प्रसाद ग्रहण करें और ब्राह्मण को श्रद्धानुसार केले का दान करें और ऊँ हृीं श्रीं स्कन्धमाता देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

6. स्वरूप में आकर्षण, सुन्दता की प्राप्ति और शीघ्र विवाह के लिए षष्ठी तिथि यानि-छठे दिन-कात्यायनी माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन मधु का विषेष महत्व होता है. मधु का भोग माता को लगाकर प्रसाद ग्रहण करें.  ऊँ हृीं श्रीं कात्यायनी देव्यै नमः. मंत्र का जाप एक माला करें.

7. शोक मुक्ति और आकस्मिक विपत्ति रक्षा के लिए सप्तमी तिथि यानि सातवें दिन-कालरात्रि माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन गुड़ का नैवेद्य अर्पण करके प्रसाद ग्रहण करें और गुड़ का ब्राह्मण को दान करने से शोक मुक्ति और आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है और ऊँ हृीं श्रीं कालरात्रि देव्यै नमः. इस मंत्र का एक माला जाप करें. 

8. संतान संबंधित चिंताओं से मुक्ति के लिए अष्टमी तिथि यानि आठवें दिन-महागौरी माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन नारियल का भोग लगाना चाहिए, प्रसाद ग्रहण करें. नारियल दान करने से संतान संबंधित चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है और सर्वमंगलमंगल्ये षिवे सवार्थसाधिके. शरणये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते.. मंत्र का एक माला जाप करें. 

9. अकाल मृत्यु और अज्ञात भय की समाप्ति के लिए नवमी तिथि यानि नौवें दिन-सिद्धिदात्री माता का ध्यान और पूजा-अर्चना करें. इस दिन काले तिल का नैवेद्य अर्पण करके, प्रसाद ग्रहण करें और काले तिल का दान करने से अकाल मृत्यु और अज्ञात भय समाप्त होता है. फिर आप ऊँ हृीं श्रीं सिद्धिदात्री देव्यै नमः. इस मंत्र का एक माला जाप करें.

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