धनतेरस पर ऐसा करने से मिल सकती है अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, जानें खरीदारी का शुभ मुहूर्त



<p style="text-align: justify;">धनतेरस के इस शुभ अवसर पर हम कई चीजों की खरीदारी करते हैं. सोने, चांदी, बर्तन या कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदे जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि धनतेरस के दिन ऐसा करने से आप अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे. धनतेरस के दिन दीपदान करने का हमारे शास्त्रों में सर्वाधिक महत्व है. ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और यमराज का आशीर्वाद प्राप्त होकर आयु में वृद्धि होती हैं. इसके लिए सूर्यास्त के पश्चात 13 दीपक प्रज्जवलित कर उनकी कुंकुंम, अष्टगंध से पूजा करके काले तिल डाल दें, और उसमें से एक दीपक मंदिर में, बाकी घर के सभी जगह लगा दें. &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">उसके बाद आप आटे का चैमुखी तेल का दीपक बनाएं और उसे घर के मुख्य द्वार पर दांई तरफ रख दें. उसमें बात्ती डालें, ध्यान रखें बात्ती का मुंह दक्षिण दिशा की तरफ हों. फिर दीपक प्रज्जवलित करके उसमें कुंकुम व हल्दी द्वारा पूजन करें, पुष्प, अक्षत चढ़ाएं, फिर उसमें थोड़ी सरसों, एक कौड़ी व सिक्का डालें. &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">साथ ही 13 साबुत काली मिर्च डालें और फिर मृत्यु के देवता यमराज से प्रार्थना करें कि परिवार के सभी सदस्यों पर उनकी दया दृष्टि बनी रहे हम सभी पर अकाल मृत्यु का भय समाप्त होकर हमें दीर्घ आयु प्रदान करें. &nbsp;<br />&nbsp;<br />ऐसा करने के बाद आप दीपदान अवश्य करें, इसके लिए आप मंदिर में जाकर दीपमालिका लगाएं या फिर किसी के घर पर जाकर भी दीप प्रज्जवलित कर सकते हैं. &nbsp;साथ ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दीपक, रूई, तेल, माचिस दान देते हैं तो यम देवता प्रसन्न होंगे और आपके जीवन से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाएगा और मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>धनतेरस पर ऐसी चीजें खरीदें ताकि बनी रहे महालक्ष्मी की कृपा&nbsp;</strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">प्रथम रूप से भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की चांदी की प्रतिमा खरीदना और उसे घर में स्थापित करना शुभ है. जिससे घर में धन और माया का स्थायी वास रहेगा.&nbsp;</li>
<li style="text-align: justify;">गृहलक्ष्मी के लिए वस्त्र और आभूषण खरीदें, यह जरूरी नहीं है कि महंगे उपहार ही खरीदे जाएं. बस कुछ ना कुछ नया घर में आना चाहिए. &nbsp;साथ ही चांदी के सिक्के, श्रीयंत्र व श्रीगणेश-लक्ष्मी युक्त सिक्के बहुत ही शुभ फलदायक रहते है.&nbsp;</li>
<li style="text-align: justify;">इस दिन पीतल के बर्तन भी खरीदने चाहिए और गृहिणी के द्वारा उन्हें जरूर इस्तेमाल करना चाहिए.&nbsp;</li>
<li style="text-align: justify;">आज के दिन नमक खरीदने की भी मान्यता है, नमक धनतेरस के दिन सुबह खरीदें और धनतेरस से लगाकर भैय्यादूज तक रोज इस नमक को पानी में मिलाकर घर में पौछा लगाना चाहिए. &nbsp;घर की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और संतान पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव भी समूल नष्ट हो जाते है.&nbsp;</li>
<li style="text-align: justify;">सातमुखी रूद्राक्ष भी धनतेरस के दिन खरीदना चाहिए, इस रूद्राक्ष की पूजा दीपावली के दिन करें और गले में धारण करें. सातमुखी रूद्राक्ष में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसे स्थापित करने से मां लक्ष्मी की कृपा हम पर बनी रहती है.</li>
<li style="text-align: justify;">मिट्टी के दीपक जो कि इस महापर्व से प्रज्जवलित किए जाते है उन्हें भी आज ही खरीदना चाहिए. &nbsp;हजारों साल पहले कोई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट तो थे नहीं.&nbsp; पुराने समय में ओखली खरीदी जाती थी. गेंहू से आटा बनाने वाली चक्की खरीदी जाती थी, जिससे कोई ना कोई चलित यंत्र घर में आए और चलायमान यंत्र हमेशा प्रगति की ओर इशारा करता है.&nbsp; &nbsp;</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>कब करें खरीददारी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि खरीददारी कब करें तो 23 अक्टूबर धनतेरस को पूरे दिन खरीदादारी का योग बन रहा है. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन राहुकाल शाम 4.30 बजे से 6 बजे तक रहेगा. इस बीच किसी भी प्रकार की खरीदारी करना वर्जित है. &nbsp;4.30 से पहले या 6 बजे के बाद गाड़ी, सोना-चांदी, बर्तन इत्यादि खरीद सकते है. &nbsp;&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे करें कुबेर पूजन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">धनतेरस की पूजा बिना कुबेर की पूजा के अधूरी है. सर्वप्रथम आप दीपक प्रज्जवलित कर घर-ऑफिस, फैक्ट्री अथवा अपने व्यवसायिक स्थल की तिजोरी में कुबेर का पूजन करें. &nbsp;देव कुबेर का ध्यान करते हुए अपने हाथ में सर्वप्रथम नागकेसर लेकर हाथ जोड़े एवं &lsquo;&lsquo;ऊँ हीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः&rsquo;&rsquo; मंत्र बोलते हुए धूप, दीप, नैवैद्य से उनका पूजन करें. &nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इसे भी पढ़ें:</strong></p>
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