देश की सबसे बड़ी रेल लाइन तैयार: DDFC के ईस्टर्न-वेस्टर्न कॉरिडोर को जोड़ेगी ये लाइन, UP-NCR से लेकर मुंबई-कोलकाता तक उद्योग आसान होगा


गाजियाबाद12 मिनट पहलेलेखक: सचिन गुप्ता

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देश के सबसे बड़े मालवाहक रेल गलियारे की लिंक लाइन तैयार हो गई है। आखिरी ट्रायल भी पूरा हो चुका है। ये लिंक लाइन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DDFC) के वेस्टर्न और ईस्टर्न कॉरिडोर को आपस में जोड़ेगी। 31 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस लाइन पर मालगाड़ी चलाए जाने को लेकर हरी झंडी दिखा सकते हैं। इसके चालू होने से दिल्ली-NCR और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा लाभ मिलने वाला है।

NCR से मुंबई, कोलकाता, पंजाब तक भेज सकेंगे माल
ईस्टर्न कॉरिडोर लुधियाना से कोलकाता और वेस्टर्न कॉरिडोर नोएडा के दादरी से मुंबई तक है। इन दोनों कॉरिडोर को जोड़ने के लिए ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी रेलवे स्टेशन से खुर्जा (बुलंदशहर) तक करीब 50 किलोमीटर लंबी लिंक रेल लाइन बिछाई गई है।

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DDFC अधिकारियों ने निरीक्षण के बाद लिंक लाइन की रिपोर्ट दे दी है।

DDFC अधिकारियों ने निरीक्षण के बाद लिंक लाइन की रिपोर्ट दे दी है।

लिंक लाइन का काम पूरा हो चुका है। शनिवार और रविवार को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन (DFCC) के अधिकारियों ने भी लिंक लाइन पर इंजन दौड़ाकर ट्रायल पूरा करके OK रिपोर्ट दे दी है। लिंक लाइन के चालू होते ही दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कारोबारी अपना माल मुंबई और कोलकाता तक सस्ते रेल भाड़े पर भेज सकेंगे और वहां से मंगा भी सकेंगे।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के रास्ते में आने वाले नदी-नहरों को पार कराने के लिए स्टील पुल स्थापित किए गए हैं।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के रास्ते में आने वाले नदी-नहरों को पार कराने के लिए स्टील पुल स्थापित किए गए हैं।

एक बार में 8 हजार टन ज्यादा माल ढुलाई करेगी मालगाड़ी
इस कॉरिडोर के चालू होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा को फायदा होगा। इन राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों में बनने वाली वस्तुएं बेहद कम समय में महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में पहुंच सकेंगी। एक मालगाड़ी अभी तक एक बार में सिर्फ 5 हजार टन माल ढुलाई करती है, जबकि इस कॉरिडोर पर चलने वाली 500 डिब्बों की मालगाड़ी एक बार में 13 हजार टन माल लेकर जाएगी।

हरियाणा के पानीपत और यमुनानगर में प्लाईवुड और मेटल की करीब दो हजार से ज्यादा इंडस्ट्री हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद का लोहा, बुलंदशहर के खुर्जा की पॉटरी, मेरठ का क्रिकेट गुड्स और किताबें, मुजफ्फरनगर का गुड़, सहारनपुर का फर्नीचर, अलीगढ़ और मुरादाबाद का पीतल देशभर में सप्लाई होता है।

खुर्जा से भाऊपुर के बीच कॉरिडोर का एक खंड शुरू हो चुका है, जिस पर मालगाड़ी तेज रफ्तार से दौड़ रही हैं।

खुर्जा से भाऊपुर के बीच कॉरिडोर का एक खंड शुरू हो चुका है, जिस पर मालगाड़ी तेज रफ्तार से दौड़ रही हैं।

इस कॉरिडोर की जरूरत क्यों पड़ी?
रेल मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई रेल लाइन पर इस वक्त क्षमता का 115% ट्रैफिक है। सामान्य रेल लाइनों और सड़कों का ट्रैफिक कम करने, रेल ढुलाई बढ़ाने के लिए के लिए अप्रैल-2005 में भारत-जापान की शिखर बैठक में इस परियोजना पर चर्चा हुई। आखिर साल-2006 में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर इंडिया लिमिटेड का गठन हुआ।

जिस तरह देश के सभी राजमार्गों को आपस में जोड़ने के लिए गोल्डन ट्राइएंगल दिया गया, उसी तरह माल ढुलाई के लिए रेल लाइनों को जोड़ने के लिए दो डायगोनल बनाए गए हैं…ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर। ये दोनों डायगोनल ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर को आपस में जोड़ेंगे।

डेडिकेटेड का मतलब है कि ये रेल लाइन सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियों के लिए होगी। जो मालगाड़ियां सामान्य लाइन पर औसत 25 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलती हैं, वो नए कॉरिडोर पर 75 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी। इन मालगाड़ियों पर कंटेनर लदकर जाएंगे, जिनमें माल होगा।

लिंक लाइन के जरिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ईस्टर्न और वेस्टर्न गलियारे आपस में जुड़ जाएंगे।

लिंक लाइन के जरिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ईस्टर्न और वेस्टर्न गलियारे आपस में जुड़ जाएंगे।

कॉरिडोर से ये फायदे होंगे
प्रमुख रेल लाइनों से मालगाड़ियां हटाकर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर शिफ्ट कर दी जाएंगी। इससे सामान्य रेल लाइनों पर यातायात का दबाव कम होगा। रेल की माल ढुलाई सस्ती होने से सड़क रास्तों से माल ढुलाई में कमी आएगी। ट्रकों में कमी आने से सड़कों पर हादसे कम होंगे। सड़कों पर प्रदूषण कम होगा। ट्रेनों को सिग्नल के इंतजार में आउटर पर खड़ा नहीं करना पड़ेगा।

प्रमुख बातें

  • ये ट्रेनें ढाई से तीन किलोमीटर लंबी होंगी
  • एक बार में 13 हजार टन माल ढोएंगी
  • इस ट्रेन को एक साथ तीन इंजन खींचेंगे
  • माल की ढुलाई कम खर्चीली होगी
  • सामान्य रेल लाइन पर ट्रैफिक कम होगा

ईस्टर्न फ्रेट कोरिडोर

  • 2005 में प्रोजेक्ट की घोषणा हुई
  • 1839 KM लंबा है लुधियाना से कोलकाता तक ट्रैक
  • 2015 में 81459 करोड़ रुपए का बजट मिला
  • 2020 में कॉरिडोर का शिलान्यास हुआ
  • 2021 में निर्माण कार्य को गति मिली
  • दिसंबर 2022 तक प्रोजेक्ट पूरा करने का टारगेट

वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर

  • ग्रेटर नोएडा के दादरी से मुंबई तक 1504 KM लंबा
  • यूपी, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र से ट्रैक गुजरेगा
  • न्यू भाऊपुर-खुर्जा और न्यू रेवाड़ी-न्यू मंदार खंड शुरू हुआ

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