दर्दनाक एक्सीडेंट ने अनु अग्रवाल की बदल दी थी जिंदगी, पूरा चेहरा बिगड़ गया था


Anu Aggrawal: 1990 में रिलीज हुई रोमांटिक फिल्म ‘आशिकी’ (Aashiqui) से अनु अग्रवाल (Anu Aggrawal) रातों रात सेंशन बन गई थीं लेकिन अनु का बैडलक रहा कि स्टारडम को एंजॉय करने से पहले ही उनकी लाइफ में ऐसा कुछ हुआ कि सबकुछ बदल गया. दरअसल एक रोड एक्सीडेंट में अनु को काफी चोटें आई और उनका चेहरे को काफी नुकसान पहुंचे और उन्हें ठीक होने में काफी समय लगा लेकिन अनु एक बार फिर कमबैक कर रही हैं और अपनी इसी वापसी को लेकर वह काफी एक्साइटिड भी हैं. हालांकि वह जानती हैं कि शोबिज में पैर जमाना मुश्किल है, लेकिन वह अपना बेस्ट शॉट देना चाहती हैं. ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था एक्सीडेंट के बाद कोमा में चली गई थी. बचने की उम्मीद नहीं थी लेकिन चमत्कार हुआ और मैं बच गई.

29 दिनों तक कोमा में थीं अनु
1999 में एक्सीडेंट के बाद जब अनु की दुनिया ही बदल गई उस फेज वे कैसे बाहर आई थीं? इस सवाल के जवाब में अनु ने कहा था, “ यह सिर्फ मुश्किलन नहीं था बल्कि यह लाइफ और डेथ का मामला था. मैं कोमा में थी. सवाल मेरे ठीक होने का नहीं था, लेकिन क्या मैं जिंदा रहूंगी और अगर रहती भी हूं, तो क्या मैं पैरालाइज रहूंगी? मैं 29 दिनों के कोमा में रही थी और इसे चमत्कार ही कहिए कि एक दिन मैं कोमा से बाहर आ गई. इसके बाद मैं बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी. आधा शरीर पैरालाइज था और काफी ट्रॉमा से भी गुजर रही थी. किसी ने नहीं सोचा था कि मैं कभी खड़ा हो पाउंगी, लेकिन मैंने पॉजिटिव रहने की कोशिश की. कोमा में रहते हुए भी मुझे बाहरी दुनिया का एहसास था. मुझे पूरा यकीन था कि मैं जिंदा रहूंगी. मुझे याद है जब मैं उठी तो मुझे लगा कि मैं एक न्यू बॉर्न बेबी की तरह हूं. लेकिन मुझे वापस फिर से पैरों पर खड़े होने में काफी समय लगा, मुझे सालों लग गए.”

अनु ने ज्यादा फिल्में क्यों नहीं की थीं?
अनु ने आगे कहा, “ सबसे पहले, मैं अपने बारे में सबसे बड़ी गलतफहमियों में से एक को दूर करना चाहती हूं. मेरे एंटरटेनमेंट बिजनेस को छोड़ने में एक्सीडेंट बहुत बड़ी वजह नहीं थी, मैं इससे पहले ही बाहर हो गई थी.  ऐसे समय में जब मैं सुपर सक्सेसफुल थी, मैं अलग दौर से गुजर रही थी. जब दुनिया ने सोचा कि मेरे पास सब कुछ है, तो उस दौरान मैं सबसे ज्यादा दुखी थी. इसलिए 1994 में मैंने नई फिल्में साइन करना बंद कर दिया था. मैंने विदेश यात्रा की और एक टॉप हॉलीवुड एजेंसी ने भी 1996 में मेरे साथ साइन अप करना चाहा था. मैं काफी एक्साइटेड थी लेकिन मैं सेल्फ-डेवलेप भी करना चाहती थी, इसलिए मैंने 1997 में बिहार स्कूल ऑफ योग में शामिल होना बंद कर दिया था. इसने मुझे ट्रांसफॉर्म किया.

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कमबैक के लिए क्या है प्लानिंग
कई सालों बाद अब आप एक बार फिर कमबैक कर रही हैं जो कि आसान नही है. आपने इसके लिए क्या तैयारी की है? इस सवाल के जवाब में अनु कहती हैं, “एक्टिंह एक स्किल है और एंटरटेनमेंट बिजनेस का ये एक्साइटिंग टाइम है.फिल्म इंडस्ट्री में अब कई मीडियम आ चुके हैं. हालांकि ये कभी भी आसान नहीं था. बॉलीवुड में सुपरमॉडल्स को वेलकम नहीं किया जाता है लेकिन मैंन इस ट्रेंड को ब्रेक किया था. मैं बहुत लंबी थी, डस्की कॉम्पलेक्शन भी था.. मैं किसी भी तरह से हीरोइन जैसी नहीं लगती थी लेकिन मेरे एक्टिंग स्किल ने काम किया था. इस लाइफ 2 में, जैसा कि मैं इसे कहती हूं, मैं यूनिवर्सल लॉ को जानती हूं,. यह बेस्ट रिजल्ट के लिए कहता है, जो कुछ भी हो रहा है उसे स्वीकार करें, लेकिन जो कुछ भी आप करते हैं उसमें अपना दिल और आत्मा लगा दें. एक्टिंग के प्रति भी मेरा यही तरीका है. मैं सिर्फ अपने दिमाग का क्रिएटिव इस्तेमाल करने में विश्वास करती हूं और परिणाम की चिंता नहीं करती क्योंकि यह सेल्फ-डिफिटिंग होगा. मैं आर्ट में दिल को देखने में विश्वास करती हूं, यही मेरा हमेशा से अप्रोच रही है.

 कॉस्मेटिक सर्जरी को लेकर क्या बोलीं अनु 
कमबैक के लिए क्या लोगों ने कॉस्मेटिक सर्जरी कराने की दी थी सलाह? इस सवाल पर अनु कहती है,” हाँ, लेकिन वह पहले था. आज, कोई भी इसका सुझाव नहीं देता है, क्योंकि मैं सभी के देखने के लिए एकदम फ्रेस चेहरा हो गई हूं. दूसरी ओर, अब लोग सोचते हैं कि मेरी सर्जरी हुई है क्योंकि मेरा चेहरा एक दशक पहले के चेहरे से अलग दिखता है. एक्सीडेंट के बाद मेरी टूटी हड्डियों को ठीक करने के लिए और मेरी बॉडी के फंक्शनल बनाने के लिए कई सर्जरी हुई. कोई भी सर्जरी आपको ट्रामा में पहुंचाती है और आपके शरीर के बाकी हिस्सों को प्रभावित करती है. इसके अलावा, मुझे लगता है कि कॉस्मेटिक सर्जरी प्लास्टिक हैं और मैं किसी भी चीज से अट्रैक्ट नहीं होती हूं जो नेचर के मुताबिक ना हो. मेरी योग स्टडी में, मुझे हॉलीस्टिक अप्रोच सिखाई गई. जहां हम एक अलग हिस्से को चेहरे की तरह नहीं मानते, बल्कि पूरे शरीर को मन और सेंसेस के साथ व्यवहार करते हैं. मैं पूरी तरह से नेचर के नियम में विश्वास करती हूं, जो मूल रूप से इस फैक्ट पर केंद्रित है कि हम जो देते हैं वह हमें मिलता है. पिछले कुछ सालों में, मैं अपने फाउंडेशन में बिजी रही हूं. अंडरप्रिवलेज्ड बच्चों की मदद करने और योग के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं.

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