जवाई बांध पहुंचे सैकड़ों किसान: बोले, किसानों का पक्ष सूने बिना कर दिया जवाई बांध के जल का बंटवारा, यह मंजूर नहीं


पाली7 मिनट पहले

पाली के सुमेरपुर के जवाई बांध जाते हुए सैकड़ों किसान।

जवाई बांध के जल का बंटवारे का निर्णय होने के बाद भी किसान सुमेरपुर में बैठक आयोजित करने की अपनी मांग पर अड़े हुए है। दोपहर करीब करीब एक बजे सैकड़ों किसान गलथनी से कूच कर जवाई बांध के लिए रवाना हुए जो दोपहर सवा तीन बजे जवाई बांधे के डाक बंगले के बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान सीओ सुमेरपुर रजत विश्नोई के नेतृत्व में 11 थानों का पुलिस जाप्ता मौके पर तैनात रहा।

पाली जिले के सुमेरपुर के जवाई बांध डाक बंगले के बाहर बैठे किसान। वे सुमेरपुर में जवाई जल वितरण कमेटी की बैठक आयोजित करवाने की मांग पर अड़े हुए है।

दरअसल इस बार सुमेरपुर की बजाय 10 अक्टूबर को पाली में जवाई बांध के जल के बंटवारे के लिए जल वितरण कमेटी की बैठक संभागीय आयुक्त कैलाशंचद्र मीणा की अध्यक्षता में आयोजित हुई। सुमेरपुर में बैठक आयोजित नहीं करने के चलते किसान नाराज हो गए और बैठक का बहिष्कार कर सुमेरपुर में महापड़ाव डाल दिया था। ऐसे में बैगर संगम अध्यक्षों, जनप्रतिनिधियों के संभागी आयुक्त ने अधिकारियों से चर्चा कर जवाई के जल का बंटवारा किया। जिसमें सिंचाई के लिए 4010 MCFT और पेयजल के लिए 3000 MCFT पानी जवाई बांध में रिर्जव रखने का निर्णय लिया गया। लेकिन सुमेरपुर में बैठक आयोजित नहीं करने से नाराज किसानों ने जवाई बांध का रूख किया। मंगलवार दोपहर करीब एक बजे वे गलथनी से रवाना होकर दोपहर सवा 3 बजे जवाई बांध डाक बंगले पहुंचे। जहां उनकी बैठक चल रही है। उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि बैठक सुमेरपुर में आयोजित की जाए उसके बाद वे अपना महापड़ाव खत्म करनें। यहां सुमेरपुर सीओ रजत विश्नोई के नेतृत्व में 11 थानों का पुलिस जाप्ता लगा हुआ है। इस दौरान किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयेन्द्रसिंह गलथनी, सुमेरपुर विधायक जोराराम कुमावत सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे।

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पाली जिले के सुमेरपुर जवाई बांध जाते किसानों के साथ तैनात पुलिस जाप्ता।

पाली जिले के सुमेरपुर जवाई बांध जाते किसानों के साथ तैनात पुलिस जाप्ता।

किसानों का पक्ष सूने बिना जवाई के पानी का बंटवारा कैसे हो सकता
मामले में किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयेन्द्रसिंह गलथनी ने कहा कि संगम अध्यक्षों, जनप्रतिनिधि की गैर मौजूदगी में जवाई के जल का बंटवारा कैसे हो सकता है। किसानों का पक्ष सूने बिना अधिकारियों ने फैसला ले लिया जो किसानों पर कुठाराघात करने जैसा है।

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