जल तरंग की गूंज से गुंजायमान हुआ बाड़ी महल: 16 मात्रा के साथ जल तरंग पर हुई जुगलबंदी



उदयपुर27 मिनट पहले

दूसरे दिन जलतरंग के कलाकार नंदलाल गंधर्व और कपिल गंधर्व ने तबला पर संगत की।

उदयपुर में चीनी मिट्टी के प्यालों पर बेंत की छड़ी के सहारे रागों की गूंज से सोमवार को सिटी पैलेस का गुंजायमान हो गया। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन की ओर से तीन दिवसीय म्यूजिकल नाइट का सिटी पैलेस में आयोजन किया गया। दूसरे दिन जलतरंग के कलाकार नंदलाल गंधर्व और कपिल गंधर्व ने तबला पर संगत की। सम्मोहित करती प्यालों पर लय-ताल की खनक ने दर्शकों को मनमोहित कर दिया।

शास्त्रीय संगीत में 16 मात्रा के साथ जल तरंग पर जुगलबंदी की। मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का कहना है कि मेवाड़ कला और संस्कृति का प्राचीनकाल से ही संरक्षण करता आ रहा है और आगे भी करता करेगा। महाराणा कुम्भा का कला और भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए भी स्वर्णिम काल रह चुका है, जो भारतीय इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। तीसरे दिन मंगलवार कार्तिक पूर्णिमा को सौरभ देहलवी (सितार) और रितिक कुमावत (तबला) की प्रस्तुति होगी।

यह है जल तरंग
– वेदों में वोदक वाद्य के रूप में इसका उल्लेख है।
– 21 प्याले कतारबद्ध सजाए जाते हैं। इन्हीं प्यालों के बीच सप्तक निहित होता है।
– बेंत या बांस की छड़ी के सहारे प्यालों पर स्वरों की होती है अवतरणा

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