राजसमंद30 मिनट पहले
श्रीनाथजी मंदिर में कान जगाई की परम्परा।
वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में मंदिर गोवर्धन पूजा के एक दिन पहले होने वाली कान जगाई की परम्परा को पूरा किया गया। इस अवसर पर मंदिर परंपरानुसार मंदिर की नाथुवास गोशाला की गायों को ग्वालों द्वारा श्रीनाथजी मंदिर में ले जाया गया। जहां पर तिलकायत व तिलकायत पुत्र विशाल बावा ने गायों के कान में अगले दिन बुधवार को गोवर्धन पूजा के दौरान मंदिर में आने का न्योता दिया जिससे पुष्टिमार्ग में कान्ह जगाई कहा जाता है।
पुष्टि मार्गीय की प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में सूर्य ग्रहण के कारण दीपावली पर्व की सेवा का क्रम होने के कारण मंगलवार को प्रभु की कान जगाई की परंपरा को पूरा किया गया। इस अवसर पर इंद्रदमन महाराज की आज्ञा से विशाल बावा ने गोवर्धन पूजा चौक में विराजित नवनीत प्रियाजी के सन्मुख पधारी गौ माता जिनमें नंद वंश की प्रमुख श्रीनाथजी की गौ माता का पूजन किया।
फिर कान में गोवर्धन पूजा के निमंत्रण के लिये बुधवार को गोवर्धन पूजा के वास्ते बेगी पधारियो कहकर कान जगाई की परंपरा का निर्वहन किया एवं श्रीलाडले लाल प्रभु की आरती उतारी। इस अवसर पर विशाल बावा श्री लाडले लाल प्रभु को सेवा अर्पित की।
इस अवसर पर नवनीत प्रिया जी के मुखिया भगवान दास सांचीहर, रजनी कांत सांचीहर, घनश्याम सांचीहर, लालन के भितरिया गण व अन्य पीठों के गोस्वामी बालक, मंदिर के अधिकारी सुधाकर उपाध्याय, मंदिर मंडल सीईओ जीतेंद्र ओझा, मंदिर मंडल बोर्ड सदस्य सुरेश संघवी, वैष्णव अंजन शाह समीर भाई सहित सेंकड़ो वैष्णव जन उपस्थित थे।
कान जगाई की परम्परा के दौरान मंदिर में गौशाला की गाये।