क्या है खोस्ता-2 और कोविड-19 का रिश्ता, क्यों चेता रहे हैं वैज्ञानिक


Khosta-2 Virus connection with Covid-19: कभी सार्स कभी मार्स तो कभी कोविड-19 के रूप में कोरोना फैमिली के वायरस अलग-अलग समय पर दुनिया को डराते रहे हैं. अब इसी फैमिली का एक और वायरस सामने आया है, नाम है खोस्ता-2. इस वायरस के बारे में एक्सपर्ट्स को सबसे पहले 2020 में पता चला था लेकिन उस समय यह इंसानों के लिए खतरनाक नहीं लगा था. लेकिन ताजा रिसर्च में इसके डराने वाले प्रभाव सामने आए हैं. रिसर्च में पता चला है कि खोस्ता-2 भी इंसान के शरीर पर ऐसे ही अटैक करता है, जैसे कोरोना वायरस का कोविड-19 या अन्य वायरस. क्या है इनका संक्रमण फैलाने का तरीका, यहां जानें…

कैसे संक्रमण फैलते हैं कोरोना वायरस?

अब तक हुई अलग-अलग रिसर्च के आधार पर यह बात साफ है कि कोरोना फैमिली के वायरस नाक या मुंह के जरिए ही शरीर में प्रवेश करते हैं. कुछ मामलों में आंखे के जरिए संक्रमण होना भी सामने आया लेकिन ये काफी रेयर केस हैं और इनकी पूरी तरह पुष्टि भी नहीं हो पाई थी. सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले कोरोना वायरस अपने स्पाइक्स के जरिए इंसान के शरीर की कोशिकाओं के साथ जुड़ने का प्रयास करते हैं. इनके स्पाइक्स एक खास तरह के प्रोटीन से बने होते हैं और वायरस के हिसाब से इनके स्पाइक्स की शेप अलग हो सकती है. कोविड-19 के स्पाइक का आगे का हिस्सा एक हुक की तरह काम करता है, जो स्किन सेल्स को जकड़ लेता है. स्किन सेल्स के साथ बॉन्ड बनाने के लिए इनका अटैक इतना तेज होता है कि ज्यादातर सेल्स डेड हो जाती हैं या उनमें इंफेक्शन फैल जाता है.

तेजी से बनते हैं अपनी कॉपीज

स्किन सेल्स को डेड करने और डैमेज करने के साथ ही कोरोना वायरस अपनी कॉपीज भी बनाते रहते हैं. यानी यदि शरीर के अंदर सिर्फ एक वायरस ने प्रवेश किया है तो वो देखते-ही देखते कुछ ही घंटों या दिनों के अंदर अपनी इतनी कॉपीज बना देगा कि पूरे शरीर में फैल जाएगा. इस तरह पूरे शरीर की अंदरूनी कोशिकाएं वायरस की चपेट में आ जाती हैं.

रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सीधा हमला

  • कोरोना वायरस के ज्यादातर मामलों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है. क्योंकि कोरोना फैमिली के लगभग सभी वायरस इम्युनिटी पर सीधा हमला करते हैं. ये शरीर की कोशिकाओं को इतनी तेजी से डैमेज करते चले जाते हैं कि शरीर के ज्यादातर मुख्य अंग अपना काम ठीक से नहीं कर पाते. 
  • जैसे, फेंफड़ों के जरिए शरीर को ऑक्सीजन पूरी नहीं मिलेगी तो इसका सीधा असर ब्लड सप्लाई पर होगा. 
  • जब ब्लड ठीक से सर्कुलेट नहीं होगा तो पाचनतंत्र, किडनी और लिवर जैसे अंग अपना काम ठीक से नहीं कर पाते. 
  • इन वायरस के अटैक के कारण स्मेल और टेस्ट चले जाते हैं, सुनने की क्षमता प्रभावित होती है और शरीर इतना कमजोर होता जाता है कि आंखें भी नहीं खुल पातीं. ऐसे में इंद्रियां जब अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं तो ब्रेन पर असर पड़ता है और पूरे शरीर का मैकेनिज़म ही गड़बड़ा जाता है.
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर हो जाना और बॉडी मैकेनिज़म का बिगड़ जाना एक बड़ी वजह है कि कोरोना संक्रमण के बाद रिकवरी में बहुत समय लग जाता है.

ये भी हैं इसी फैमिली के सदस्य
कभी सार्स ( SARS-Severe Acute Respiratory Syndrome) और मार्स (MARS- Middle East respiratory syndrome coronavirus)जैसे वायरसों ने भी दुनिया को ऐसे ही डराया था, जैसे कोविड-19 ने डराया. शुरुआती तौर पर तो कोरोना का इलाज भी इन्हीं बीमारियों की दवाओं से किया गया. कोविड-19 के बाद फिर इसके अलग-अलग वैरिएंट सामने आए, जैसे- डेल्टा, ओमिक्रोन इत्यादि. ऐसा म्यूटेशन के कारण होता है. क्योंकि जैसे-जैसे दवाओं की मदद से शरीर वायरस से लड़ना और इसे मारना शुरू कर देता है, वैसे ही वायरस भी अपने बचाव के लिए खुद में लगातार कुछ ना कुछ बदलाव करते रहते हैं.

चमगादड़ से है खास रिश्ता

चमगादड़ पर एक ही समय में एक साथ 100 से अधिक वायरस सर्वाइव करते हैं. लेकिन फिर भी इसे कुछ नहीं होता. इतना ही नहीं कुछ देशों में तो चमगादड़ को खाया जाता है और इसका सूप भी पिया जाता है. लेकिन कोविड-19 का कनेक्शन भी चमगादड़ से ही मिला था और अब खोस्ता-2 का खतरा भी चमगादड़ से ही सामने आ रहा है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसी तरह के उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 

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