केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल बोले- उगते सूरज पूनिया संग चलो: डूबते सूरज का ‘सनसेट पॉइंट’ मत देखो, कटारिया बोले थे- हम किसी नेता के नौकर नहीं

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जयपुर24 मिनट पहले

चुनाव पास आते-आते बीजेपी में भी गुटबाजी की हलचल होने लगी है। केंद्रीय संसदीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने झुंझुनूं में हुई BJP कार्यसमिति में नेताओं से कहा- ‘डूबता हुआ सूरज’ देखना बंद करो। क्योंकि सनसेट पॉइंट अंग्रेजों के बनाए हुए हैं। ‘उगते हुए सूरज’ सतीश पूनिया के नेतृत्व में देखना शुरू करो। उगते सूरज को जल चढ़ाओ। दूसरी तरफ राजस्थान बीजेपी विधायक दल के नेता गुलाबचंद कटारिया ने सरदारशहर (चूरू) में कहा- हम किसी नेता के नौकर नहीं हैं। ठीक तरह से नेता भी अपने आप को समझ लें।

शेखावाटी के दो जिलों झुंझुनूं और चूरू में दिए गए दोनों नेताओं के भाषणों से गुटबाजी अब खुलकर सामने आने लगी है। 13 नवंबर को बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति में खुले मंच से अर्जुनराम मेघवाल ने भाषण में कहा- हम माउंट आबू जाएंगे तो क्या है? एक पॉइंट है सनसेट देखने का। ये सनसेट देखना बंद करो भाईसाहब। उगते हुए सूरज को सतीश पूनिया के नेतृत्व में देखना शुरू करो।

हमारे यहां उगते सूरज को ही जल देते हैं,इसलिए सब पूनिया के साथ चलें

इससे पहले मेघवाल ने कहा- बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया उगते सूरज हैं। हमारे यहां उगते सूरज को ही जल देते हैं। इसलिए हम सब पूनिया के साथ चलें। सनसेट पॉइंट तो अंग्रेजों के बनाए हुए हैं। हमारे यहां केवल सूर्य उदय का ही विधान है। इसलिए सब पूनिया के साथ आकर चलें। मेघवाल ने जब यह बात कही उस वक्त प्रदेश बीजेपी के सभी प्रमुख नेता सभागार में मौजूद थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह मौजूद नहीं थे।

डूबते सूरज और सनसेट पॉइंट का मतलब भी समझ गए नेता

केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने इस बयान ने पूरी पार्टी में हलचल मचाकर रख दी है। मेघवाल केंद्रीय बीजेपी हाईकमान के नजदीकी माने जाते हैं। PM मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके निकट और अच्छे पॉलिटिकल संबंध हैं। इसलिए माना जा रहा है उन्होंने ‘उगते सूरज’ और ‘डूबते सूरज’ शब्दों का इस्तेमाल कर बीजेपी का पूरा सियासी नैरेटिव बदलने की मुहीम शुरू कर दी है। उन्होंने पूनिया को तो ‘उगता सूरज’ बताया, लेकिन ‘डूबते सूरज’ का बिना नाम लिए बेहद चतुराई से सियासी मैसेज भी दे दिया है। उनका ये बयान CM फेस को लेकर बीजेपी में चल रही खींचतान की तरफ इशारा माना जा रहा है। बीजेपी में अर्जुनराम मेघवाल और सतीश पूनिया एक ही गुट के माने जाते हैं।

सरदारशहर में विधानसभा उपचुनाव का प्रत्याशी तय करने के लिए तेरापंथ भवन में हाल ही रखी गई बैठक। इस दौरान अर्जुनराम मेघवाल भी मौजूद थे।

सरदारशहर में विधानसभा उपचुनाव का प्रत्याशी तय करने के लिए तेरापंथ भवन में हाल ही रखी गई बैठक। इस दौरान अर्जुनराम मेघवाल भी मौजूद थे।

हम किसी नेता के नौकर नहीं हैं,समझ जाएं ठीक तरह से नेता भी

दरअसल, मेघवाल के बयान से एक दिन पहले 12 नवंबर को सरदारशहर में विधानसभा उपचुनाव का प्रत्याशी तय करने के लिए तेरापंथ भवन में बैठक रखी गई थी। इसमें कार्यकर्ताओं को मंच से संबोधित करते कटारिया ने कहा था- हम किसी नेता के नौकर नहीं हैं। समझ जाएं ठीक तरह से नेता भी अपने आप को। हम यहां नौकरी करने नहीं आए। हम यहां देश बनाने का सपना लेकर के आए। जीवन पुष्प चढ़ा चरणों में मांगें मातृभूमि से यह वर, तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें ना रहें।

कटारिया ने कहा- किसी प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने से पहले आप सबको जान, समझकर, मतदाता और गांव की भावना को समझकर ही निर्णय करेंगे। ऐसा नहीं है कि कोई किसी के भाई का करेंगे।

आपके विधायक सतीश पूनिया प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं

इससे पहले 6 नवंबर को रविवार के दिन बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने भी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को प्रदेश के सबसे बड़े नेता कहा था। अरुण सिंह ने कहा था कि बीजेपी राष्ट्रीय कार्यसमिति में भी पूनिया का सम्मान हुआ है। सबसे बढ़िया काम करने वाले प्रदेशाध्यक्षों में उनका नाम सबसे ऊपर आता है।

आमेर विधानसभा क्षेत्र में दीपावली स्नेह मिलन कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरुण सिंह ने क्षेत्र के लोगों से कहा- आप बड़े भाग्यशाली हो। आपने आशीर्वाद दिया और आपके आशीर्वाद से आपके विधायक पूरे प्रदेश के सबसे बड़े नेता डॉ सतीश पूनिया प्रदेश अध्यक्ष हैं। अरुण सिंह बोले- इस क्षेत्र का मान सम्मान प्रदेश में ही नहीं देशभर में है। जब पूरे देशभर की बीजेपी कार्यसमिति होती है, वहां बीजेपी प्रदेशाध्यक्षों को बुलाया जाता है, तो कहा जाता है सबसे बढ़िया काम कौनसे प्रदेशाध्यक्ष ने किया? तो उसमें डॉ सतीश पूनिया का नाम ऊपर आता है। इस पर आमेर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने जमकर तालियां बजाईं और सतीश पूनिया के नारे लगाए थे।

बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने 6 नवंबर को आमेर विधानसभा क्षेत्र में दीपावली स्नेह मिलन कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा-आपके विधायक सतीश पूनिया प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने 6 नवंबर को आमेर विधानसभा क्षेत्र में दीपावली स्नेह मिलन कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा-आपके विधायक सतीश पूनिया प्रदेश के सबसे बड़े नेता हैं।

अबकी बार रिकॉर्ड मार्जिन से डॉक्टर साहब जीतेंगे

अरुण सिंह बीजेपी कार्यकर्ताओं की भीड़ देखकर बोले- इतनी बड़ी संख्या में सतीश पूनिया को आशीर्वाद देने आप आए हो। मैं कह सकता हूं, अबकी बार बहुत रिकॉर्ड मार्जिन से डॉक्टर साहब जीतेंगे और प्रदेश में सबसे बड़ा रिकॉर्ड कायम होगा। सिंह ने कहा दोनों हाथों से डॉक्टर साहब को आप आशीर्वाद दे रहे हैं ना? क्योंकि सतीश पूनिया लगातार प्रदेश का भ्रमण करते रहते हैं। महीने में दो-चार दिन भी नहीं होते, जब वह घर पर रहते हों। राजस्थान में कोने-कोने में जाकर बीजेपी के संगठन को मजबूत करने, निकम्मी गहलोत सरकार के कारनामों को उजागर करने, जनता के साथ मिलकर संघर्ष करने और लगातार राजस्थान में बीजेपी को आगे बढ़ाने का काम सतीश पूनिया कर रहे हैं।

एक-एक व्यक्ति पूनिया की तरह प्रदेशाध्यक्ष बनकर पार्टी को मजबूत करो

अरुण सिंह बोले – इसलिए आप सबकी यह ड्यूटी और बन जाती है कि चुनाव एक साल में है। तब तक एक-एक व्यक्ति सतीश पूनिया की तरह प्रदेश अध्यक्ष बनकर एक-एक घर में जाकर अभी से पार्टी को मजबूत करो। हर बूथ पर कम से कम पार्टी के 100 कार्यकर्ता बनने चाहिए।

विधानसभा चुनाव से पहले इसलिए CM फेस घोषित कर सकती है बीजेपी

लम्बे समय से पार्टी में गुटबाजी को थामे रखने के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेता लगातार कहते आए हैं कि ‘PM मोदी के फेस’ और ‘कमल का फूल’ चिन्ह पर ही बीजेपी चुनाव लड़ेगी। लेकिन पार्टी सूत्र बताते हैं कि मजबूती से चुनाव लड़ना है, तो राजस्थान के स्थानीय नेता का नाम CM फेस के लिए पहले ही सामने रखना होगा। पड़ोसी राज्य गुजरात के चुनाव परिणाम आने के बाद ही पार्टी इस बारे में तेजी से मंथन शुरू करेगी।

राजस्थान की जनता PM मोदी के चेहरे पर ही वोट करके पिछले दो लोकसभा चुनाव में BJP के 25 और 24 सांसद केंद्र में भेजती आ रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव में स्थानीय चेहरे और मुद्दों के आधार पर ही बीजेपी और कांग्रेस सरकारें चुनीं गईं।

राजस्थान की मौजूदा सरकार में CM गहलोत लगातार एक्टिव होकर जनहित की घोषणाएं करने में जुटे हैं। ताकि चुनाव से पहले माहौल ज्यादा से ज्यादा पक्ष में किया जा सके। अलग-अलग वर्गों साधने के लिए लाभार्थी वर्ग भी तैयार किया गया है। जिन्हें सरकारी स्कीम्स का सीधा फायदा मिल रहा है। राजस्थान के ट्रेंड के मुताबिक चुनावी लिहाज से जो एंटी इनकम्बेंसी बननी चाहिए थी, वैसी अब तक डवलप नहीं हो सकी है। उससे निपटने और मजबूती से कांग्रेस सरकार को टक्कर देने के लिए बीजेपी को प्रदेश स्तर पर मजबूत चेहरे और रणनीति के साथ चुनाव में उतरना होगा।

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देशभर की नजरें इन दिनों गुजरात चुनाव पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृहक्षेत्र होने के कारण बीजेपी ने पूरा जोर गुजरात में लगा रखा है। गुजरात में बीजेपी के प्रत्याशियों की लिस्ट सबसे ज्यादा चर्चा में है। गुजरात में पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने 50 प्रतिशत चेहरों के टिकट काट दिए हैं। भारी एंटी इनकंबेंसी के बावजूद बीजेपी की इस स्ट्रेटेजी ने राजस्थान के लिए भी सियासी मैसेज दे दिया है। (पूरी खबर पढ़ें)

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