ओवैसी के लिए राजस्थान नहीं आसान, क्योंकि: मुस्लिम चेहरों का जीत प्रतिशत सिर्फ 42, बंगाल-यूपी और बिहार जितना मजबूत वोट बैंक भी नहीं


जयपुर33 मिनट पहलेलेखक: निखिल शर्मा

विधानसभा चुनाव 2023 से सवा साल पहले राजस्थान में सियासत गर्माने लगी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी जड़ें जमाने की कोशिश शुरू कर दी है।

बुधवार से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जयपुर और सीकर में 13 जगह सभाएं करेंगे। राजस्थान में 15 जिलों की 36 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिमों का प्रभाव है। ओवैसी की पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इन सीटों से लड़ने की तैयारी में है।

ओवैसी की AIMIM पिछले कुछ वर्षों से अलग-अलग राज्यों के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चुनाव लड़ती आ रही है। मुख्य रूप से AIMIM का फोकस बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर रहा। अब ओवैसी की नजर राजस्थान पर है।

माना जा रहा है कि औवैसी अगर यहां चुनाव लड़ते हैं तो मुख्य रूप से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं कुछ सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

भास्कर ने एनालिसिस किया कि ओवैसी की पार्टी AIMIM चुनाव लड़ती है और राजस्थान के सियासी समीकरण कैसे बदलते हैं। साथ ही ये भी जाना कि ओवैसी के सामने राजस्थान में क्या चुनौतियां आएंगी। क्योंकि राजस्थान से पहले ओवैसी ने जिन तीन प्रमुख राज्यों में चुनाव लड़ा उनमें से सिर्फ बिहार में ही उनकी पार्टी सफल हो पाई।

पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…

बिहार : ओवैसी की पार्टी ने 2020 में 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें 5 सीटें जीती। AIMIM का वोट प्रतिशत तो सिर्फ 1.24 प्रतिशत रहा, लेकिन मगर मुस्लिम समुदाय के प्रभावों वाली सीटों पर वोट बंटने से कांग्रेस और लेफ्ट को नुकसान हुआ।

पश्चिम बंगाल : भारी मुस्लिम वोट बैंक होने के बावजूद पश्चिम बंगाल चुनाव में AIMIM बुरी तरह फेल साबित हुई। यहां पार्टी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा, कहीं भी जीत नहीं सके। पार्टी का वोट प्रतिशत सिर्फ 0.02 प्रतिशत रहा। सभी 6 सीटों पर AIMIM को सिर्फ 10852 वोट ही मिल सके।

उत्तरप्रदेश : यहां AIMIM ने मजबूती से प्रचार किया, लेकिन रिजल्ट बंगाल जैसा ही रहा। AIMIM ने 95 सीटों पर चुनाव लड़ा। मगर जीत एक भी ना सके। कुल वोट प्रतिशत भी सिर्फ 0.49 प्रतिशत रहा। उत्तर प्रदेश में बड़ा मुस्लिम वोट बैंक होने के बावजूद ओवैसी सफल नहीं हाे सके।

अब जानिए, राजस्थान के समीकरण
यहां मुसलमान 36 सीटों पर असर तो रखते हैं, लेकिन वोट बैंक यूपी, बिहार और बंगाल जितना मजबूत नहीं है। राजस्थान में बहुत कम सीटें हैं, जहां सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक के सहारे चुनाव जीता जा सकता है।

इसका अंदाजा पिछले 5 चुनावों में मुसलमान प्रत्याशियों के प्रदर्शन से लग जाता है। 1998 से लेकर 2018 तक पिछले पांच चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस ने मिलकर राजस्थान में 95 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया। इनमें से सिर्फ 40 प्रत्याशी ही चुनाव जीत सके। मुस्लिम प्रत्याशियों की जीत का प्रतिशत महज 42.10 फीसदी ही रहा।

राजस्थान में पिछले पांच चुनावों में कांग्रेस ने 80 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिए, इनमें 34 ही जीत सके। बीजेपी ने इन पांच चुनावों में 15 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया, इनमें 6 जीते। यानी इनका जीत प्रतिशत भी 40 प्रतिशत रहा।

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4 संभागों में मुस्लिम प्रभावी

अजमेर संभाग : टोंक, पुष्कर, मकराना, डीडवाना, मसूदा और नागौर
डीडवाना से भाजपा के युनूस खान 2003 और 2013 में जीते। दोनों बार मंत्री रहे। टोंक में कांग्रेस की जाकिया 2003 में जीती, 2008 में हारी। 2013 में कांग्रेस के सऊद सईदी को भाजपा के अजीत मेहता ने हराया। पुष्कर से तीन में से दो बार मुस्लिम प्रत्याशी हारे। मकाराना में 2008 में जाकिर हुसैन जीते, 2013 में हारे।

जयपुर संभाग : फतेहपुर, तिजारा, रामगढ़, किशनपोल, हवा महल, आदर्श नगर, जौहरी बाजार
फतेहपुर से 2003 और 2008 में भंवरू खान और हाजी मकबूल दोनों मुस्लिम प्रत्याशी जीते। 2013 में ये सिलसिला टूटा। 2018 में फिर हाकिम अली खान जीत गए। रामगढ़ में कांग्रेस ने हर बार मुस्लिम प्रत्याशी उतारा, 2003 में जुबेर खान जीते। वहीं उसके बाद दोनों सरकारों में भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा जीतते आए हैं। पिछले चुनाव में शाफिया जुबैर जीती। आदर्श नगर सीट में 2008 और 2013 में अशोक परनामी ने कांग्रेस के माहिर आजाद को हराया। वहीं 2018 में कांग्रेस से रफीक खान जीत गए।

जोधपुर संभाग : चौहटन, शिव, सूरसागर और पोकरण
शिव पर कांग्रेस से तीन चुनाव में अमीन खान को टिकट दिया। वे 2008 में और फिर 2018 में जीते। पोकरण से 2008 में कांग्रेस के शाले मोहम्मद जीते तो 2013 में हारे, 2018 में फिर जीते और मंत्री बने।

भरतपुर संभाग : कामां, धौलपुर, सवाईमाधोपुर और नगर
कामां से कांग्रेस ने हर बार मुस्लिम उम्मीदवार उतारा, मगर सिर्फ 2007 में जाहिदा खान जीती। सवाईमाधोपुर से 2003 में यास्मीन अबरार हारी तो 2008 में अलाऊद्दीन आजाद जीते। नगर सीट से कांग्रेस के मोहम्मद माहिर 2008 में जीते।

हबीर्बुर रहमान : एकमात्र नेता जो दोनों पार्टियों से चुनाव लड़े और जीते

राजस्थान में हबीर्बुर रहमान एकमात्र मुस्लिम नेता हैं। जो बीजेपी-कांग्रेस दोनों पार्टियों से चुनाव लड़े और जीते भी। हबीर्बुर रहमान 1993 और 1998 में मूंडवा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़े और जीते। 2003 में कांग्रेस से लड़े और हार गए। मगर 2008 और 2013 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद 2018 में फिर कांग्रेस से चुनाव लड़ा मगर हार गए।

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