चित्तौड़गढ़11 घंटे पहले
अब मटर की खेती को भी मिलेगा बढ़ावा, किसानों की आय बढ़ेगी।
जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने पहली बार एग्रीकल्चर की ओर नवाचार करते हुए मटर की खेती को बढ़ावा दिया है। जिले में पहली बार इस खेती को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया है। इसके लिए फिलहाल चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा, और बेगूं पंचायत समिति क्षेत्र के चयनित किसानों को मटर का उन्नत बीज, जैविक कल्चर, उर्वरक और कीटनाशी रसायन निःशुल्क दिया गया। कृषि विभाग का मानना है कि इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
जिला परिषद के उप निदेशक कृषि विस्तार डॉ शंकर लाल जाट ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फाउडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) फंड से पायलट प्रोजेक्ट के रूप के अंतर्गत मटर उत्पादन के लिए खेती को चुना गया है। डॉक्टर जाट ने बताया कि जिले के तीन पंचायत समिति चित्तौड़गढ़, निंबाहेड़ा और बेगूं के 1500 किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। जिला कलेक्टर ने चयनित किसानों को आधा बीघा जमीन के लिए मटर के 10 किलो उन्नत बीज, 1010 और ढाई सौ मिलीलीटर जैविक कल्चर की बोतल, 5 किलो यूरिया, 25 किलो सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक, 5 किलो सुक्ष्म पोषक तत्व मिक्सर कीटनाशक रसायन का एक किट दिया है। यह किट अभी 80 किसानों को ही दिया गया है।
व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जोड़ेंगे किसानों को
जिला कलेक्टर ने इसके लिए चयनित किसानों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ने की बात कही। उन्होंने 20-20 किसानों का एक ग्रुप बनाकर एक कृषि सुपरवाइजर को उससे हमेशा जुड़े रहने के लिए आदेश दिया है, ताकि जो भी रिजल्ट आए उसकी अच्छे से मॉनिटरिंग हो सके। शंकर लाल जाट ने बताया कि मटर की पैदावार भी ज्यादा होती है। हरी फलियां मार्केट में भी अच्छे दाम में बिक जाती है। इससे किसानों के आय बढ़ेगी। किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है। राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने भी इस बात को लेकर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा कि मटर की खेती का चित्तौड़गढ़ मॉडल पूरे राज्य में मिसाल के तौर पर लिया जाएगा। अगली बार अमरूद या अन्य किसी सब्जी और फल के बगीचे के लिए बीज और खाद निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
किसानों को बांटे थे उन्नत बीज और उसके साथ किट।
किसानों के चयन की ये प्रक्रिया
जिन किसानों के पास सिंचाई करने की सुविधा है, वह किसान आवेदन करने के लिए अपने आधार कार्ड की फोटो कॉपी, पासपोर्ट साइज का एक फोटो और बोये जाने वाले खेत की जमाबंदी की फ़ोटो कॉपी साथ लेकर क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी या कृषि सुपरवाइजर से मिल सकते है।