अब ट्रेन में टीटीई के हाथ में नहीं दिखेगा आरक्षण चार्ट, जानें- कैसे होगा टिकट चेक?


Kota Hand Held Terminal: डिजिटल इंडिया (Digital India) अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railway) की तरफ से चलती ट्रेन में आरक्षित टिकट की जांच के लिए टिकट चल निरीक्षकों/परीक्षकों द्वारा हैंड हेल्ड टर्मिनल (HHT) उपकरण का उपयोग किया जा रहा है. ऐसे में अब टीटीई (TTE) के हाथ में पहले की तरह चार्ट दिखाई नहीं देगा. इसी कड़ी में राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) मंडल में भी चलती ट्रेन में आरक्षित टिकट की जांच निरीक्षकों/परीक्षकों द्वारा आरक्षण चार्ट की जगह पर अब डिजिटल तकनीकी की नई ई-डिवाइस हैंड हेल्ड टर्मिनल से की जा रही है.

पमरे ने कोटा मंडल को 182 हैंड हेल्ड टर्मिनल उपलब्ध कराए हैं. इसके लिए मंडल के टिकट चैकिंग स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है. इस नई ई-डिवाइस रूपी अत्याधुनिक तकनीकी से परिपूर्ण हैंड हेल्ड टर्मिनल की शुरुआत सबसे पहले कोटा मंडल की कोटा से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली जन शताब्दी और उदयपुर से निजामुद्दीन के बीच चलने वाली मेवाड़ एक्सप्रेस में की गई है. वर्तमान में कोटा मंडल के सभी मेल/एक्स ट्रेनों में आरक्षित टिकट की जांच के लिए हैंड हेल्ड टर्मिनल उपकरण का उपयोग किया जा रहा है.

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खाली सीट का भी तत्काल लगेगा पता

यात्रियों से निवेदन है कि यात्री उसी स्टेशन से गाड़ी पकड़ें, जहां से उन्होंने बोर्डिंग प्वाइंट टिकट में लिख कर दिया है, जिससे यात्रा के दौरान असुविधा न हो. चलती ट्रेन में कंप्यूटर आधारित टिकट की जांच के लिए भारतीय स्तर पर रेलवे ने एचएचटी उपकरण शुरू की है. इस तरह की व्यवस्था से ट्रेन में खाली सीट के बारे में पता लग जाएगा. इससे प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को भी खाली सीट उपलब्ध कराने में सहूलियत होगी, जिससे यात्रियों को संतुष्टि होगी. ज्यादा बुकिंग से रेलवे का भी राजस्व बढ़ेगा. साथ ही डिजिटल इंडिया अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा.

कागज की होगी बचत

इस तरह के उपकरण से टिकट जांच करने वाले कर्मचारी को भी सहूलियत होगी. उनके टर्मिनल उपकरण पर उपलब्ध सीटों का विवरण होगा और आरक्षण चार्ट भी नहीं देखना पड़ेगा. इसके उपयोग से टीटीई के कार्य में पारदर्शिता आएगी और ट्रेन के संचालन के दौरान खाली बर्थ का उपयोग भी रेल रिकॉर्ड के साथ होगा. इस एचएचटी के द्वारा अब टिकिट निरीक्षक चार्ट के स्थान पर इसमें यात्री का विवरण देख सकेंगे, जिससे कागज की बचत के साथ ही मैन पावर की भी बचत होगी.

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