जोधपुर4 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
जोधपुर में सोमवार को एम्स के दीक्षांत समारोह में एक छात्रा को सम्मानित करते केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जोधपुर एम्स चिकित्सा क्षेत्र में इतनी लंबी रेखा खींचेगा, शायद उस रेखा से पार पाना देश-दुनिया के किसी और संस्थान के बस का नहीं होगा। शेखावत ने कहा, मैंने जोधपुर में एम्स संस्था बीजारोपित होते हुए देखा है। कोरोना काल में इस संस्थान ने सात दिन में अटल कोविड सेंटर बनाकर अद्वितीय कार्य किया। शेखावत ने कहा कि एम्स को अतिरिक्त भूमि मिलने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। यहां 150 बेड का ट्रोमा अस्पताल बनेगा।
शेखावत सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जोधपुर के तीसरे दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में केंद्रीय मंत्री शेखावत और संस्थान के अध्यक्ष प्रो.एस.सी. शर्मा ने मेडिकल छात्रों को डिग्री और पदक वितरित किए।
दीक्षांत समारोह में कुल 14 स्टूडेट्स को गोल्ड मेडल दिए गए। इसमें चार 2014 व चार 2015 बैच के एमबीबीएस स्टूडेंटस है। इसके अलावा दो नर्सिग स्टूडेंटस व चार पीजी स्टूडेंटस को गोल्ड मैडल मिले। दूसरी ओर एम्स का आंठवां वार्षिकोत्सव भी मनाया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गजेन्द्र सिंह शेखावत एमबीबीएस स्टूडेंटस को 39 गोल्ड व 98 सिल्वर मेडल दिए। इसके अलावा नर्सिग स्टूडेंटस में 30 को गोल्ड व 27 को सिल्वर मेडल दिए। सोमवार को आयोजित गरिमामय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिस तरह से काम किया गया, उससे देश का सम्मान पूरी दुनिया में बढ़ा।
शेखावत ने कहा कि जोधपुर एम्स की सेवाएं पूरे पश्चिमी भारत को मिल रही हैं। अब तो यह जानकर खुशी होती है कि पंजाब के लोग भी यहां इलाज के लिए आते हैं। शेखावत ने कहा कि इस संस्थान को और सुदृढ़ करने के प्रयास किया जा रहे हैं। एम्स में अभी विस्तार की आवश्यकताएं हैं। मुझे आप सबको बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि विस्तार के लिए जिस भूमि की आवश्यकता थी, उस भूमि के हस्तांतरण की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। मैं देश के चिकित्सा मंत्री मनसुख मांडवीया का अभिनंदन करना चाहता हूं, उन्होंने जोधपुर एम्स में 150 बेड का ट्रोमा हॉस्पिटल आवंटित किया है।
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी जोधपुर एम्स को अपने बधाई संदेश में कहा कि मैं कामना करता हूं कि कैंसर और कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में जोधपुर एम्स स्वीडन की विशेषज्ञता और सहयोग से आरोग्य के क्षेत्र में जल्दी एक बड़ी सेवा देने में आने वाला है। पूर्व में जोधपुर एम्स के एक कार्यक्रम का एक वाक्या सुनाते हुए शेखावत ने कहा कि तत्कालीन चिकित्सा मंत्री हर्षवर्धन ने प्रश्न किया था कि क्या एम्स जोधपुर कभी एम्स दिल्ली से आगे निकल जाएगा? जोधपुर दिल्ली से आगे निकले या ना निकले, यह अलग विषय हो सकता है, लेकिन एम्स जोधपुर इतनी लंबी रेखा खींच देगा, शायद उस रेखा से पार पाना देश-दुनिया के किसी और संस्थान के बस का नहीं होगा। कार्यक्रम के अंत में एम्स के निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा ने केंद्रीय मंत्री शेखावत को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से हो रहा काम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में चिकित्सा के क्षेत्र में अनगिनत काम हुए हैं। सत्तर साल में जितने डॉक्टर तैयार नहीं हुए, उतने पिछले दस साल में हो गए। प्रधानमंत्री का सपना है कि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज हो। चिकित्सा सेवा को सुदृढ़ के लिए उन्होंने काम किया। मानव संसाधनों को सुदृढ़ किया। सामान्य मानवी के लिए जीवन को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र खोले गए। इम्प्लांट की कीमतें कम की गईं। फिट इंडिया जैसा अभियान चलाया और योग को विश्व में ख्याति दिलवाई।
बलिदान नहीं, योगदान देने का समय
शेखावत ने कहा कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया रहा है। देश को आजाद कराने में लाखों लोगों ने अपना बलिदान किया। फांसी के फंदे को जयमाला की तरह अपनाया। अंग्रेजों से ही नहीं, उससे पहले भी विदेशी शासकों से लोहा लिया होगा, तब जाकर यह देश आजाद हुआ है। हम सौभाग्यशाली हैं कि इस समय आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित अमृत महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। अब यह समय देश के लिए बलिदान नहीं, योगदान देने का है।
हम बदलाव के वाहक बनें
शेखावत ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि वे जहां भी, जैसे भी काम कर रहे हैं, देश को शक्तिशाली बनाने का प्रयास करें। देश आज ट्रांसफोरमेशन के दौर से गुजर रहा है। इसमें हम बदलाव के वाहक हो सकते हैं। जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन में बलिदान दिया, हम आगामी 25 साल में उनके सपनों का भारत बनाएं। इसमें नई पीढ़ी की जिम्मेदारी ज्यादा है। जो लोग समर्थ है, पुरुषार्थी है, उनकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ी है।