जानिए क्या है ये बीमारी? जिसके होने से सिर पर एक भी बाल नहीं बचता

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Hair Loss Treatment: आस्कर अवार्ड प्रोग्राम की वो घटना तो आपको याद ही होगी. जब हॉलीवुड एक्टर विल स्मिथ ने जैंडा पिंकेट स्मिथ के बालों के झड़ने को लेकर एंकरिंग कर रहे एक्टर क्रिस रॉक ने एक बेकार कमेंट किया था. विल स्मिथ को इस कमेंट पर इतना गुस्सा आया कि उन्होंने क्रिस रॉक को थप्पड़ मार दिया था. क्रिस रॉक की टिप्पणी जैंडा पिकेट के गंजेपन को लेकर थी और यही विल स्मिथ को बुरा लगा था. जैंडा पिकेट सालों से इस बीमारी से जूझ रही थी. बीमारी के कारण ही उनके सिर पर कोई बाल नहीं रहा. आइए जानते हैं कि क्या है बीमारी, जिससे सिर पर एक बाल तक नहीं बचता है. 

एलोपेसिया एरीटा से गंजा हो जाता है व्यक्ति

बालों का झड़ना एक सामान्य समस्या है. मानसून के मौसम में बाल अधिक झड़ते हैं. सर्दियों में यह कम हो जाते हैं. पुराने बाल टूटने और नए बाल आने का बॉडी का यह एक प्रोसेस है. लेकिन बीमारी में उतनी तेजी से बालों की ग्रोथ नहीं हो पाती, जितनी तेजी से वह झड़ते हैं. एलोपेसिया एरीटा ऐसी ही बीमारी है. यह एक ऑटा इम्यून डिसीज है. हार्माेनल इंबेलेंस, डायबिटिज, डिप्रेशन, एनीमिया, पॉलीसिस्टिक, डिंबग्रंथि बीमारी, थायराइड से एलोपेसिया एरीटा बीमारी हो सकती है. यह महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है. इससे सिर पर चकत्ते भी हो जाते हैं. 

क्या होती है ऑटोइम्यून डिसीज

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बीमारी से बचाव के लिए प्रत्येक व्यक्ति की बॉडी में एक इम्यून सिस्टम होता है. बाहर से अटैक करने वाले किसी बैक्टीरिया, वायरस या अन्य तत्व से यही इम्यून सिस्टम लड़ता है. लेकिन कई बार बॉडी इस स्थिति में अच्छे और बुरे जीवाणु की पहचान नहीं कर पाता और खुद के इम्यून सिस्टम के रक्षा प्रहरियों पर अटैक करने लगता है. 

किसी भी हिस्से के बाल झड़ सकते हैं

आमतौर पर कोई इन्पफेक्शन होने पर किसी एक विशेष जगह के बाल ही झड़ते हैं. लेकिन एलोपेसिया एरीटा के साथ ऐसा नहीं है. इसमें बॉडी के किसी भी पार्ट के बाल झड़ सकते हैं. हालांकि, संतोषजनक बात यह है कि बीमारी में बालों के रोम रह जाते हैं. इससे विभिन्न थेरेपी के माध्यम से इनके दोबारा आने की संभावना बनी रहती है. ब्रिटिश थायराइड फाउंडेशन के एक अध्ययन के अनुसार, ऑटोइम्यून थायरॉयड रोगों वाले लोगों में एलोपेसिया एरीटा सबसे आम है.

विश्व में 15 करोड़ लोग प्रभावित

ये बीमारी वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है. नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन ((NCBI)) की एक रिसर्च के अनुसार करीब 156 मिलियन यानि 15 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. आमतौर पर इस बीमारी से बचाव के लिए लोग होम्योपैथी दवा का प्रयोग करते हैं. 

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