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जयपुर25 मिनट पहले
राजस्थान के कॉलेज-यूनिवर्सिटीज के छात्रों ने चुनाव से ठीक साल भर पहले अपना रुझान दे दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर सभी बड़े मंत्रियों के इलाकों में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। गहलोत के गृह क्षेत्र की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एनएसयूआई हार गई है। सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक के सरकारी कॉलेज में भी बीजेपी से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी ने एनएसयूआई को हराया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में शेखावटी यूनिवर्सिटी और एसके कॉलेज में एनएसयूआई बुरी तरह हारी है।
छात्रसंघ चुनावों के रिजल्ट में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष दोनों के लिए चेतावनी के संकेत हैं। सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस के लिए मानी जा रही है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के छात्र संगठन की हार ने बीजेपी को पर्सेप्शन के मोर्चे पर अपर हैंड दे दिया है। विधानसभा चुनावों के समीकरण, मुद्दे और वोटिंग पैटर्न इन चुनावों से पूरी तरह अलग होते हैं, लेकिन बीजेपी छात्रसंघ चुनावों के नतीजों को सरकार के कामकाज से जोड़कर उसकी विफलता से जोड़ेगी।
जोधपुर में वैभव गहलोत का प्रचार काम नहीं आया
प्रदेश की किसी भी बड़ी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई का उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर नहीं जीता। यह हालत तब है, जब कांग्रेस के कई विधायक और मंत्री पर्दे के पीछे से एक्टिव थे। राजस्थान यूनिवर्सिटी में तो मंत्री मुरारीलाल मीणा की बेटी बागी होकर चुनाव लड़ रही थी। जोधपुर में अशोक गहलोत के बेटे और आरएसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत ने कैम्पस में जाकर प्रचार किया, लेकिन एनएसयूआई की करारी हार हुई। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में एनएसयूआई हार गई। एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी जोधपुर जिले के हैं, लेकिन वे भी कोई कमाल नहीं दिखा सके। भरतपुर जिले से विश्वेंद्र सिंह, भजनलाल जाटव, जाहिदा और सुभाष गर्ग मंत्री हैं।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी कोटा में एनएसयूआई को जीत नहीं दिला सके।
बड़े मंत्रियों के इलाकों में एनएसयूआई की हार
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के क्षेत्र कोटा में कोटा यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा है। बांसवाड़ा जिले से महेंद्रजीत सिंह मालवीय और अर्जुन बामणिया मंत्री हैं। वहां भी एनएसयूआई हारी है। मंत्री बीडी कल्ला और मंत्री भंवर सिंह भाटी के जिले बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी और वेटरिनरी यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई हार गई है। चार मंत्रियों और दो बोर्ड चेयरमैन वाले जिले भरतपुर में महाराजा सूरजमल यूनिवर्सिटी में एबीवीपी जीत गई।

यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा के निर्वाचन क्षेत्र डूंगरपुर से लेकर पूरे जिले के चारों कॉलेजों में बीटीपी के छात्र संगठन की जीत हुई है।
यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के इलाके में बीटीपी के छात्र संगठन की जीत
आदिवासी इलाके डूंगरपुर, बांसवाड़ा में एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा के निर्वाचन क्षेत्र डूंगरपुर से लेकर पूरे जिले के चारों कॉलेजों में बीटीपी के छात्र संगठन की जीत हुई है। बांसवाड़ा में गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी और कॉलेजो में एबीवीपी ने कांग्रेस को हराया है। आदिवासी क्षेत्र में इन नतीजों ने इस इलाके के युवाओं का रुझान साफ कर दिया है।
यूथ वोटर्स का जिधर रुझान, सत्ता उसी के हाथ
विधानसभा चुनावों में यूथ वोटर्स बहुत वायब्रेंट और ट्रेंडसेटर माने जाते हैं। पिछले कुछ चुनावों में यूथ वोटर्स ने सरकारें बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। छात्रसंघ चुनावों के नतीजों ने दोनों पार्टियों को भविष्य के लिए कई संकेत दिए हैं। यह साफ हो गया है कि यूथ वोटर्स को वही अपनी तरफ कर पाया, जिसका ग्राउंड कनेक्ट मजूबत होगा। यूथ आम तौर पर सत्ता विरोधी रुझान का माना जाता है, यह ट्रेंड किधर भी मुड़ सकता है। बड़े नेताओं के इलाकों में कांग्रेस के छात्र संगठन की हार ने यूथ के रुझान को जाहिर कर दिया है। अब माना जा रहा है कि सरकार यूथ वोटर्स को आकर्षित करने के लिए ज्यादा फोकस कर सकती है। सीएम ने अगला बजट युवाओं पर फोकस करने की घोषणा पहले से ही कर रखी थी, लेकिन इसका फायदा होता नहीं दिख रहा।
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