एक जैसे नहीं होते मच्छर बल्कि इनमें भी है वैरायटी, यहां जानें कब कौन-सा मच्छर चूसता है खून


Different Types of Mosquitoes: रात को सोते समय कान पर बजता वो परेशान करने वाला संगीत सुना है? शांति से बैठकर काम करते हुए अचानक से बॉडी में कहीं भी तेज चुभन के साथ होने वाली जलन और खुजली का अहसास सहा है? हम सभी को इनका अनुभव है और ये सब करने वाले कीट्स को हम मच्छर के नाम से जानते हैं. हालांकि ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मच्छर भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं. साथ ही इनका सीजन और काटने का समय भी अलग-अलग होते हैं.

आमतौर पर ज्यादातर लोग सिर्फ इस बात को नोटिस करते हैं कि मच्छर बहुत बड़े हैं या बहुत बारीक मच्छर हो गए हैं. लेकिन इस बात पर कम ही लोगों का ध्यान जाता है कि इन मच्छरों के काटने का तरीका भी अलग होता है! कुछ मच्छर वो चिरपरिचित संगीत सुनाने के साथ काटते हैं, जबकि कुछ मच्छर कब आए, कब काटा और कब गायब हो गए इसकी भनक भी नहीं लगने देते. बहुत हैरान करने वाली है इन मच्छरों की दुनिया. आइए, आज इसी बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं…

मच्छरों के प्रकार
अपने साइज, हैबिट्स, ओरिजिन, कलर और इनकी बाइट के कारण होने वाली बीमारियों के आधार पर मच्छर सैकड़ों प्रकार के हो सकते हैं. लेकिन हम यहां उन खास 8 प्रकार के मच्छरों के बारे में बात करेंगे, जो हमारे देश के ज्यादातर हिस्सों में पाए जाते हैं और बीमारियां फैलाते हैं. इनके नाम इस प्रकार हैं…

1. एडीज (Aedes)
2. एनाफोलीज (Anopheles)
3. क्यूलेक्स (Culex)
4. क्यूलिसेट (Culiseta)
5. मैनसोनिया (Mansonia)
6. सोरोफोरा (Psorophora)
7. टॉक्सरिंकाइट्स (Toxorhynchites)
8. व्येओमीया (Wyeomyia)

सबसे ज्यादा बीमारी फैलाते हैं ये मच्छर

मच्छरों पर हुई अब तक की रिसर्च से यह सामने आया है कि जब बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की बात आती है तो एडीज (Aedes) मच्छर नंबर वन पर होते हैं. डेंगू, येलो फीवर, वेस्ट नील, चिकनगुनिया जैसे फीवर के जानलेवा प्रकार इसी मच्छर के कारण फैलते हैं. यहां तक कि जीका (Zika) वायरस फैलाने में भी इसी मच्छर का योगदान सबसे अधिक रहा है. 

ये मच्छर आमतौर पर बाढ़ के पानी के पूल, आर्द्रभूमि (Wetlands) और पानी से भरे प्राकृतिक या कृत्रिम कंटेनरों के अंदर पाए जाते हैं. हालांकि इन मच्छरों की प्रजातियां बाहर बहुतायत में पाई जा सकती हैं, ये मच्छर दिन के समय में घरों में प्रवेश करते हैं और आमतौर पर दिन में ही अधिक काटते भी हैं.

खूबसूरत होते हैं ये मच्छर
मैनसोनिया (Mansonia) मच्छर अन्य मच्छरों की तुलना में काफी कलरफुल और साइज में बड़े होते हैं. इनके पंख चमकीले होते हैं और पैरों तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर काले या भूरे रंग की लाइनिंग होती हैं. ये दुनिया के अधिकतर हिस्सों में पाए जाते हैं और शाम के समय अधिक काटते हैं. ये एंसेफ्लाइटिस का संचारण (Transmitting encephalitis) करते हैं.

पशुओं और इंसानों दोनों को काटते हैं ये मच्छर
मच्छर का वो टाइप जो पशुओं और इंसानों  दोनों को काटता है और जानवरों की बीमारियों का संक्रमण इंसानों तक फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है, इसका नाम है सोरोफोरा (Psorophora)मच्छर. यह मच्छर लंबी-लंबी दूरी तय करके एक से दूसरी जगह पहुंच जाता है. आमतौर पर सड़क किनारे की खाई, पशुओं के बाड़े, पूल इत्यादि इसके ब्रीडिंग ग्राउंड होते हैं.

फूलों का रस पीते हैं ये मच्छर 

मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति भी है जो इंसानों को या पशुओं को नहीं काटती. बल्कि फूलों के रस, पत्तियों और अन्य मच्छरों के लार्वा का सेवन करती है. इन्हें टॉक्सरिंकाइट्स (Toxorhynchites) मच्छर कहा जाता है. खास बात यह है कि इन मच्छरों के लार्वा विशेष रूप से अन्य प्रजाति के मच्छरों के लार्वा का शिकार करते हैं. यानी आप इन मच्छरों को इंसानों का दोस्त मच्छर कह सकते हैं!

मलेरिया फैलाने वाला मच्छर 
एनाफोलीज (Anopheles) मच्छर को मुख्य रूप से मलेरिया फैलाने वाले मच्छर के रूप में जाना जाता है. ये मच्छर आमतौर पर ऐसे एरिया में पनपते हैं, जहां पानी जमा रहता है या दलदली भूमि अधिक होती है. ये चौबीसों घटें खून चूसने के लिए तैयार रहते हैं. यानी दिन और रात दोनों समय काटते हैं.

दिन छिपने के बाद काटते हैं ये मच्छर
सूर्यास्त के बाद जो मच्छर अधिक ऐक्टिव हो जाते हैं और जमकर काटते हैं, उनका नाम है क्यूलेक्स (Culex)मच्छर. हालांकि मौका मिले तो ये दिन में भी काटते हैं लेकिन दिन छिपने के बाद तो इनका अटैक बहुत बढ़ जाता है, ये मच्छर पानी के स्रोत जैसे पूल, तालाब और सीवेज प्लांट्स जैसी जगहों पर अधिक पनपते हैं. इनके काटने के कारण वेस्ट नेल वायरस ( West Nile Virus) का संक्रमण फैलता है.

इंसानों को नहीं काटते ये मच्छर

क्यूलिसेट (Culiseta) मच्छर ठंडी जगहों पर पाए जाते हैं और ये इंसानों को नहीं काटते हैं. बल्कि स्तनधारी पशुओं (Mammals) और पक्षियों पर फीड करते हैं. ये लकड़ियों के गोदाम, टूटे हुए पेड़ों के दरख्तों, दलदल में पाई जाने वाली झाड़ियों की जड़ों में पनपते हैं.

ये मच्छर अपने घर में ही अच्छे

व्येओमीया (Wyeomyia)मच्छरों की एक ऐसी प्रजाति है जो आमतौर ऐसे प्लांट्स पर पाई जाती है, जो कीड़ो-मकोड़ों को खाते हैं. इन प्लांट्स की पत्तियां कुछ इस तरह से होती हैं कि कीट इनके अंदर चला जाता है तो लौटकर नहीं आ पाता और इनके अंदर डायजेस्टिव फ्लूइड भरा होता है, जिससे उस कीट को पचाया जा सके. व्येओमीया मच्छर किसी तरह के वायरस को कैरी नहीं करते हैं और मनुष्यों के लिए तब तक घातक नहीं होते हैं, जब तक ये अपने मूल स्थान को छोड़कर एरिया में जगह-जगह ना फैल जाएं. 

 

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